भोपाल, 27 फरवरी (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश विधानसभा में हुई कथित फर्जी नियुक्तियों के मामले में शनिवार को जमानत मिलने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर देश में सांप्रदायिक माहौल बनाने का आरोप लगाया।
दिग्विजय सिंह के मुख्यमंत्री रहते विधानसभा में हुई कथित फर्जी नियुक्तियों के मामले में अतिरिक्त जिला न्यायाधीश काशीनाथ सिंह की अदालत से 30 हजार रुपये के निजी मुचलके पर उन्हें जमानत दे दी। नोटिस पर हाजिर न होने के कारण अदालत ने शुक्रवार को उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी की थी।
शनिवार की दोपहर दिग्विजय अदालत में हाजिर हुए, इसके बाद उन्हें जमानत दे दी गई।
जमानत मिलने के बाद दिग्विजय सिंह ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि कोई भी देश सांप्रदायिकता और वैमनस्यता के माहौल में विकास नहीं कर सकता। मौजूदा सत्ताधारी दल भाजपा और संघ देश में सांप्रदायिक माहौल बनाने में लगे हैं। ये दोनों झूठ का पुलिंदा हैं।
कांग्रेस शासन के दौरान विधानसभा में हुई नियुक्तियों को लेकर दर्ज मामले पर उन्होंने कहा कि मौजूदा राज्य सरकार ने उनके खिलाफ साजिश रची है, मगर वह डरने वाले नहीं हैं, भगोड़ा नहीं हैं।
दिग्विजय ने कहा कि विधानसभा का ही एक अधिकारी कहता है कि नियुक्तियों को लेकर कोई मामला नहीं बनता, मगर सरकार ने दवाब में रिपोर्ट दर्ज कराई।
उन्होंने केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी पर चुटकी लेते हुए कहा कि आखिर वह झूठ बोलना कब छोडें़गी।
सिंह ने भाजपा द्वारा राहुल गांधी पर किए जा रहे हमलों की निंदा की और कहा कि भाजपा ने तो ऐसे व्यक्ति को अपना अध्यक्ष बनाया है, जिसे अदालत ने गृह राज्यमंत्री रहते गुजरात से बदर कर दिया था। वह चार साल तक इधर-उधर भटकते रहे।
कांग्रेस नेता ने जेएनयू के कन्हैया कुमार का बचाव किया और कहा कि वह उस छात्रनेता को सैल्यूट करते हैं। दिग्विजय ने कहा कि कन्हैया ने ऐसा कुछ नहीं कहा है जो देशद्रोह की श्रेणी में आता हो।
उन्होंने दावा किया कि राज्य में हुए व्यापम घोटाले को लेकर उन्होंने जो प्रमाण व साक्ष्य दिए हैं, वे पूरी तरह सच हैं। दिग्विजय ने कहा, “अगर सौंपे गए तथ्य एवं प्रमाण झूठे हैं तो मेरे खिलाफ कार्रवाई की जाए, अन्यथा जिन पर आरोप लगाए गए हैं, उन पर कार्रवाई हो।”
सिंह ने कहा कि वह सर्वोच्च न्यायालय से मांग करेंगे कि व्यापम घोटाले की जांच की निगरानी स्वयं सर्वोच्च न्यायालय करे, साथ ही एसटीएफ की भी सीबीआई से जांच कराई जाए। इसके अलावा एसटीएफ के अधिकारियों की संपत्ति की भी जांच कराई जाए।
मप्र विधानसभा में वर्ष 1993 से 2003 के बीच हुई नियुक्तियों के मामले में जहांगीराबाद थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। इस मामले में दिग्विजय सिंह सहित 22 लोगों को आरोपी बनाया गया था। इनमें से 21 लोगों को जमानत मिल चुकी थी। इस मामले में न्यायालय ने दिग्विजय सिंह को नोटिस जारी किया, मगर वह हाजिर नहीं हुए, जिस पर शुक्रवार को गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया था।
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता के.के. मिश्रा ने आईएएनएस को बताया कि शनिवार की दोपहर दिग्विजय न्यायाधीश काशीनाथ सिंह की अदालत में पेश हुए, जहां गोविंद गोयल के 30 हजार रुपये के निजी मुचलके पर उन्हें जमानत दे दी गई। दिग्विजय की ओर से अधिवक्ता विवेक तन्खा ने पैरवी की।
पूर्व मुख्यमंत्री सिंह पार्टी नेता सुरेश पचौरी व प्रदेशाध्यक्ष अरुण यादव के साथ जिला अदालत पहुंचे, जहां सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। भारी पुलिस बल की तैनाती की गई थी।
ज्ञात हो कि जहांगीराबाद थाना पुलिस ने शुक्रवार को दिग्विजय समेत आठ अन्य आरोपियों के विरुद्ध पूरक चालान पेश किया गया था, वहीं इस मामले में सात अन्य आरोपियों को 30-30 हजार रुपये की जमानत मिल गई थी। चालान में दिग्विजय सिंह की कथित 13 फर्जी नियुक्तियों में संलिप्तता पाई गई है।
पुलिस अधिकारी सलीम खान ने शुक्रवार को कोर्ट में चार हजार पेज का पूरक चालान पेश किया, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री और तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी की ओर से इन नियुक्तियों के संबंध में जारी आदेश, नोटशीट और अनुशंसा-पत्रों से जुड़े दस्तावेज पेश किए थे। साथ ही 60 गवाहों की सूची भी कोर्ट को सौंपी गई। मामले की अगली सुनवाई 14 मार्च को होगी।