मान्यता के अनुसार, प्रभु यीशु ने अपने अनुयाइयों के साथ क्रूस पर चढ़ने से पहले अंतिम बार रात्रि भोजन किया था। इसके अगले दिन उनको शूली पर चढ़ा दिया था।
अलीगंज स्थित एसेंबली बिलिवर्स चर्च, हजरतगंज के कैथड्रल चर्च, लालबाग समेत सभी गिरिजाघरों में रात्रि भोजन पर भक्तों का जमावड़ा रहा। रात्रि भोजन से पहले और बाद विशेष प्रार्थना सभा हुई।
अपने पकड़वाए जाने की पूर्व रात्रि को यीशु मसीह अपने शिष्यों के साथ अंतिम बार भोजन करने बैठे थे और वहां पर उन्होंने नम्रता एवं दीनता के साथ लोगों की सेवा करने का संदेश अपने चेलों के पैरों को धो कर दिया। यह एक ऐसा मानक है जो की संसार में अत्यंत प्रचलित हुए है और हर समुदाय एवं धर्म के लोगों ने इसका अनुपालन भी किया है।
इसी रात्रि को कुछ समय के बाद यीशु मसीह के ही चेलों में से एक यहूदा इस्करियोती ने गतसेमनी के बाग में जहां यीशु मसीह प्रार्थना कर रहे थे, उन्हें रोमी सैनिकों द्वारा पकड़वाया और यीशु मसीह को रोमी प्रशासन तंत्र एवं उस समय के धर्म गुरुओं ने क्रुसिकृत करने का निर्णय लिया।
यही वह दिवस है, जिस दिन प्रभु यीशु मसीह को गोल्गथा नामक पहाड़ पर क्रूस पर लटकाया गया था। इस घटना से पूर्व प्रभु यीशु मसीह ने अपने उपदेश दिए थे।