काठमांडू, 24 अप्रैल (आईएएनएस)। नेपाल में 7.3 तीव्रता वाले विनाशकारी भूकंप के पूरे साल बीत गया है। भूकंप में नौ हजार लोगों की जान गई थी और अरबों डॉलर की संपत्ति का नुकसान हुआ था। सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि उस आपदा से बच गए लोगों और तबाह बुनियादी ढांचे को फिर से तैयार करने के लिए सरकार एक तो बहुत कम कर पाई और जो कुछ किया वह भी बहुत देर से।
काठमांडू, 24 अप्रैल (आईएएनएस)। नेपाल में 7.3 तीव्रता वाले विनाशकारी भूकंप के पूरे साल बीत गया है। भूकंप में नौ हजार लोगों की जान गई थी और अरबों डॉलर की संपत्ति का नुकसान हुआ था। सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि उस आपदा से बच गए लोगों और तबाह बुनियादी ढांचे को फिर से तैयार करने के लिए सरकार एक तो बहुत कम कर पाई और जो कुछ किया वह भी बहुत देर से।
देश के कई जिलों में बर्बाद हो गए हजारों घरों को फिर से बनाने के लिए गठित राष्ट्रीय पुनर्निर्माण प्राधिकरण के गठन को राजनीतिक रंग दे दिया गया। भूकंप पीड़ितों का कहना है कि इसके मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) की नियुक्ति में देरी, इसके नियम कायदों को अंतिम रूप देने में विलंब और कुछ क्षेत्रों में बड़ी प्राकृतिक तबाही से निपटने के लिए सरकार की तैयारी का अभाव जैसे कुछ ऐसे कारण हैं, जिन्हें इसके लिए जवाबदेह ठहराया जा रहा है। खासकर भूकंप के केंद्र वाली जगह पर तो पूरे गांव के गांव धराशायी हो गए हैं।
राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी रविवार को गोरखा जिले के बारपाक पहुंचीं, जो 25 अप्रैल, 2015 को आए भूकंप का केंद्र था। उन्होंने उस आपदा में जान गंवाने वाले लोगों की याद में एक पार्क का उद्घाटन किया।
पुनर्निर्माण प्रक्रिया को राजनीतिक दलों द्वारा बहुत अधिक राजनीतिक रंग दिया जाना हिमालय की गोद में बसे इस देश के बर्बाद ढांचे के पुनर्निर्माण में देरी का कारण है। यह बात पुनर्निर्माण कानून में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पूर्व मुख्य सचिव लीलमणि पौडयाल ने कही।
पुनर्निर्माण प्राधिकरण के सीईओ की नियुक्ति और इसका कानून बनाने में नेपाल सरकार को नौ महीने लग गए।
एनआरए के सीईओ सुशील ग्यावली ने कहा, “हमलोग पुनर्निर्माण का काम पांच साल के अंदर पूरा कर लेंगे। इसके लिए हमें इतना ही समय दिया गया है।”
ठीक एक साल बाद, चार प्रमुख राजनीतिक दलों के शीर्ष नेताओं ने काठमांडू के चार अलग-अलग स्थानों पर पुनर्निर्माण का काम शुरू किया।
उस भूकंप में देश के 14 सर्वाधिक प्रभावित जिलों में 8,856 लोगों की मौत हुई थी और 22,309 लोग घायल हुए थे और 602,257 घर बर्बाद हुए थे। 185099 घरों को नुकसान पहुंचा था और विद्यालयों-महाविद्यालयों की 35 हजार से अधिक कक्षाएं इस भूकंप की भेंट चढ़ गईं।
भूकंप के बाद काठमांडू में हुए दानदाता सम्मेलन में दानदाता एजेंसियों ने 4.5 अरब डॉलर से अधिक दान देने का वादा किया था, लेकिन नेपाल सरकार महज एक अरब डॉलर ही हासिल कर पाई।
काठमांडू के रविवार के अखबार भूकंप की तबाही और जनता की पीड़ा की खबरों से भरे पड़े हैं।
अभी तक पुनर्निर्माण के लिए जरूरी राशि का मात्र तीन फीसदी ही जारी किया गया है। यह राजनीतिक प्रतिबद्धता के खोखलापन को दर्शाता है।
770,000 हजार परिवार घर विहीन हैं। उनमें से मात्र 700 लोगों को घर बनाने के लिए पहली किस्त के रूप में दो लाख रुपये नकद दिए गए हैं।