अनिल सिंह भोपाल से – मप्र का बहुप्रतीक्षित मंत्रिमंडल विस्तार अंततः नाटकीय घटनाक्रमों के बाद हो ही गया.जिस तरह मुख्यमंत्री का चीन दौरे से पूर्व बयान मीडिया को दिया गया था की कोई बदलाव या इस्तीफ़ा नहीं होगा नए विस्तार में वह गलत साबित हुआ.हम यहाँ चर्चा कर रहे हैं उस घटना की जो कुछ महीनों पूर्व की है जब अरविन्द मेनन संगठन महामंत्री के पद पर थे.
रात लगभग 10 बजे बुरहानपुर विधायक अर्चना चिटनीस अपने वाहन से उतर भाजपा परिसर स्थित अरविन्द मेनन के कार्यालय में तेजी से दाखिल हुईं ,अरविन्द मेनन ने अपने सहायकों को पहले ही आगाह कर दिया था उन्हें उस कक्ष में बैठाया गया जहाँ मेनन आम कार्यकर्ताओं से मुलाक़ात करते थे .इन्तजार करती विधायक के पीछे भाजपा अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान मेनन के कक्ष में दाखिल हुए अन्दर क्या चर्चा शुरू हुई वह दरवाजा बंद होने से सुनाई नहीं पड़ रही थी लेकिन माजरा समझ आ गया कुछ ही देर में तेज गति से बदहवास दाखिल हुआ नंदकुमार सिंह का बेटा वह भी मेनन के कमरे में दाखिल हो गया.लगभग 20 मिनट बाद पिता-पुत्र मेनन के कमरे से बाहर निकले और चले गए.
मेनन ने रुख किया गुस्से में इन्तजार करती और तमतमाई हुई विधायक अर्चना चिटनीस की तरफ.मेनन के आते ही जैसे अर्चना चिटनीस फट पड़ीं ,उन्होंने गुस्से में भाजपा अध्यक्ष और उनके बेटे की शिकायतें मेनन को बतानी शुरू कर दीं.मेनन हाँ दीदी,हाँ दीदी कहते रहे और चिटनीस कहती रहीं.इसी बीच अर्चना चिटनीस बोलीं ,“मेनन जी यदि मेरे भाग्य में मंत्री बनना लिखा है तो कोई नहीं रोक सकता.”
आज वह घटना याद आ गयी जब राजभवन में अर्चना चिटनीस मंत्री पद की शपथ ले रहीं थीं.मुख्यमंत्री ने कहा कोई नहीं हटेगा और दो मंत्री हटे,तथा तमाम विरोधों के बीच भाग्य प्रबल होने के कारण अर्चना चिटनीस मंत्री बनीं.