जोधपुर, 25 अप्रैल (आईएएनएस)। राजस्थान के अपने आश्रम में वर्ष 2013 में एक नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म करने के मामले में स्वयंभू संत आसाराम बापू को जोधपुर की अदालत ने बुधवार को दोषी करार दिया और उम्रकैद की सजा सुनाई।
आसाराम अपनी स्वभाविक मृत्यु तक जेल में ही रहेंगे।
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति मामलों के विशेष न्यायाधीश मधुसूदन शर्मा ने जोधपुर केंद्रीय कारागार के अंदर अपना फैसला सुनाया। आसाराम इसी जेल में कैद हैं।
अदालत ने आसाराम आश्रम की वार्डन शिल्पी और उनके सहयोगी शरद को भी 20-20 साल कैद की सजा सुनाई।
अदालत ने हालांकि, आसाराम के सेवादार शिवा और रसोइए प्रकाश को बरी कर दिया।
उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर की एक किशोरी द्वारा दुष्कर्म की शिकायत दर्ज कराने के बाद 2013 में आसाराम को गिरफ्तार किया गया था। किशोरी ने आरोप लगाया था कि आसाराम ने जोधपुर के बाहरी इलाके के मनई गांव स्थित अपने आश्रम में 15 अगस्त, 2013 को उसके साथ दुष्कर्म किया था। पीड़िता मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा स्थित आसाराम आश्रम में 12वीं कक्षा की छात्रा थी।
बचाव पक्ष की वकील सुषमा धर ने कहा, “आसाराम को स्वभाविक मृत्यु तक उम्रकैद की सजा सुनाई गई है..शिल्पी और शरद को एक-एक लाख रुपये जुर्माना भरने के निर्देश भी दिए गए हैं।”
उन्होंने कहा कि फैसले के खिलाफ और आसाराम की जमानत के लिए राजस्थान उच्च न्यायालय में अपील दाखिल की जाएगी।
न्यायाधीश ने 474 पृष्ठों के फैसले में कहा है कि आसाराम (77) और दो अन्य आरोपियों को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376 डी और बाल यौन अपराध निषेध अधिनियम (पोस्को) और किशोर न्याय अधिनियम (जेजे) के तहत दोषी पाया गया है।
बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि अदालत में आसाराम सामान्य दिखे, लेकिन दोषी ठहराए जाने के बाद दुखी और चिंतित नजर आए।
उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में अपने घर से बाहर पीड़िता के पिता ने फैसले का स्वागत किया और पत्रकारों को कहा, “संघर्ष और कठिन परीक्षा की घड़ी में हमारे साहस की परीक्षा ली गई, लेकिन हमें न्यायिक प्रक्रिया पर पूरा विश्वास था।”
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी(माकपा) ने फैसले का स्वागत किया और तीन गवाहों अमरुत प्रजापति, रसोइए अखिल गुप्ता और कृपाल सिंह के लिए भी न्याय की मांग की। इन तीनों की तीन अलग-अलग घटनाओं में जून 2014 से जून 2015 के बीच गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
माकपा ने एक बयान में कहा, “नौ गवाहों पर हमला किया गया, जिनमें से तीन की मौत हो गई। अदालत को सुनिश्चित करना चाहिए कि गवाहों की हत्या समेत इससे संबंधित मामलों का निपटारा भी जल्द हो।”
माकपा ने कहा कि आसाराम कठोर सजा का हकदार है और ‘पीड़ित लड़की यौन उत्पीड़न के विरुद्ध लड़ाई का प्रतीक है।’
एक फर्जी मुठभेड़ में कथित तौर शामिल रहने के आरोपी पूर्व पुलिस महानिरीक्षक डी.जी. बंजारा आसाराम के बचाव में सामने आ गए और उन्होंने कहा कि ‘आसाराम को दुष्कर्मी कहना अनुचित है।’
पुलिस ने छह नवंबर, 2013 को पोस्को अधिनियम, किशोर न्याय अधिनियम और आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत आसाराम और चार अन्य सह-आरोपियों शिल्पी, शरद, शिवा और प्रकाश के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल किए थे।
सात अप्रैल को इस मामले में अंतिम बहस पूरी कर ली गई थी और फैसला सुनाने के लिए 25 अप्रैल (बुधवार) की तिथि निर्धारित की गई थी।
आसाराम को इंदौर से गिरफ्तार कर एक सितंबर, 2013 को जोधपुर लाया गया था। दो सितंबर, 2013 को उन्हें न्यायायिक हिरासत में भेज दिया गया था। इससे पहले सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था।
आसाराम के अनुयायियों से कानून-व्यवस्था को नुकसान पहुंचने की आशंका के मद्देनजर जोधपुर में कड़ी सुरक्षा-व्यवस्था की गई थी।
गृह मंत्रालय ने भी अदालत के फैसले के मद्देनजर किसी अप्रिय घटना को रोकने के लिए मंगलवार को राजस्थान, गुजरात और हरियाणा को एहतियात बरतने के निर्देश दिए थे।
आसाराम गुजरात में दायर यौन उत्पीड़न के एक अन्य मामले का भी सामना कर रहे हैं।