नई दिल्ली, 17 दिसम्बर (आईएएनएस)। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरुवार को कहा कि अगले दो दशक में 8 फीसदी विकास दर को बनाए रखने के लिए भारत की अपनी ऊर्जा जरूरतें होंगी लेकिन इनका संतुलन पर्यावरण संरक्षण के साथ बैठाना होगा।
प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति भवन में यूसी बर्कले-हास स्कूल ऑफ बिजनेस की ओर से ‘सार्वजनिक नवाचार में उत्कृष्ट वैश्विक मार्गदर्शन’ के लिए गारवुड पुरस्कार लेने के दौरान यह बात कही। गारवुड सेंटर फॉर कॉरपोरेट इनोवेशन के कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर सोलोमन डारविन ने राष्ट्रपति को यह पुरस्कार प्रदान किया।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत में पूरी दुनिया की कुल आबादी का 17 फीसदी हिस्सा रहता है लेकिन यह पूरी दुनिया में इस्तेमाल होने वाली बिजली का महज पांच फीसदी हिस्सा ही खर्च करता है।
राष्ट्रपति ने कहा, “सार्वलौकिक नवाचार उन सरकारी संस्थाओं के लिए सबसे आवश्यक है जो नागरिकों की सेवा के कार्य में लगी हुई हैं।”
राष्ट्रपति ने कहा कि नवाचार वृद्धि और विकास का एक महत्वपूर्ण संचालक है। सार्वलौकिक नवाचार अगले स्तर से प्रेरणा लेता है और सभी के लिए पहुंच के पारिस्थितिकी तंत्र और समान अवसरों का निर्माण करता है।
मुखर्जी ने कहा, “सार्वलौकिक नवाचार भविष्य का एक मार्ग है क्योंकि यह एक संगठन में आंतरिक और बाह्य, दोनों ही तरह के सभी स्रोतों से ज्ञान को हासिल करता है।”
राष्ट्रपति ने सार्वलौकिक नवाचार के क्षेत्र में उनकी पहल को मान्यता देने के लिए अमेरिका के कैलिफोर्निया राज्य के गर्वनर जेरी ब्राउन और उनकी सीनेट का शुक्रिया अदा किया।