इंदौर, 21 अगस्त (आईएएनएस)। एमेच्योर लागोरी फेडरेशन ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय महासचिव संतोष प्रह्लाद गुरव का कहना है कि जिस तरह मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की सरकारों ने लागोरी को स्कूली शिक्षा में शामिल किया है, उसी तरह वह दिन दूर नहीं जब इस खेल को देश को अन्य राज्यों में भी यथोचित सम्मान मिलेगा।
उल्लेखनीय है कि जन-जन में लोकप्रिय खेल लागोरी, जिसे मध्य प्रदेश में सितोलिया नाम से जाना जाता है, अब प्रदेश के स्कूलों में भी खेला जाएगा। राज्य शासन के स्कूल शिक्षा विभाग ने इस वर्ष के स्पोटर्स कैलेंडर में इसे शामिल कर लिया है। महाराष्ट्र के बाद स्कूल स्तरीय खेल प्रतियोगिता में लागोरी को शामिल करने वाला मप्र देश का दूसरा राज्य बन गया है।
लागोरी को देश और विदेश में मान्यता दिलाने के महान प्रयास में जुटे गुरव ने कहा कि बहुत जल्द महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के रास्ते पर चलते हुए दूसरे राज्य भी लागोरी को स्कूल शिक्षा में शामिल कर लेंगे।
गुरव ने कहा, “लागोरी को हमारी सांस्कृतिक विरासत में जगह प्राप्त है। यह भारत का पारंपरिक खेल है और इसका उल्लेख हमारे संविधान में भी है। इसी हैसियत से इसे मप्र और महाराष्ट्र की सरकारों ने सम्मान देते हुए स्कूल शिक्षा में शामिल किया है। मुझे उम्मीद है कि यह अन्य राज्यों में भी स्कूली शिक्षा में जगह बना सकता है। हमारी विरासत को बचाने का काम एक या दो राज्य में नहीं बल्कि पूरे देश मे होना चाहिए।”
पिछले वर्ष महाराष्ट्र में इंटर स्कूल प्रतियोगिताओं में लागोरी को शामिल किया था। इस वर्ष मप्र के स्कूल शिक्षा विभाग ने भी राज्य स्तरीय खेल प्रतियोगिताओं में इसे शामिल कर लिया। 26-30 सितंबर के बीच सतना में लागोरी की राज्य स्तरीय प्रतियोगिता होगी। इसके पहले स्कूल, ब्लॉक, जिला, संभाग स्तर पर इसकी प्रतियोगिताएं होंगी।
गुरव ने कहा कि बीते पांच साल में लागोरी ने देश और विदेश में जिस स्तर की सफलता हासिल की है, वह अब दिखने लगी है। एमेच्योर लागोरी फेडरेशन ऑफ इंडिया द्वारा लगातार इससे जुड़ी प्रतियोगिताएं कराने से यह खेल जनमानस में फिर से अपनी पैठ बनाने लगा है।
गुरव ने कहा, “हम अब तक पांच सीनियर नेशनल लागोरी चैम्पियनशिप आयोजित कर चुके हैं। इसके अलावा पहली लागोरी प्रीमियर लीग भी आयोजित की जा चुकी है और अभी अगस्त में ही दिल्ली में पहली लागोरी फेडरेशन कप का सफल आयोजन हुआ। ये सब आयोजन दर्शाते हैं कि लागोरी देश के हर हिस्से में पैठ बना रहा है। सभी आयोजनों में 15-20 टीमों ने हिस्सा लिया। हमने बीते कुछ सालों में सब-जूनियर, जूनियर और सीनियर स्तर पर दर्जनों आयोजन कराए हैं। इससे इस खेल की लोकप्रियता जनमानस से सरकारों तक पहुंच रही है।”