चेन्नई, 3 अप्रैल (आईएएनएस)। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) में सूचीबद्ध 180 कंपनियों के बोर्ड में अब तक महिला सदस्य की नियुक्ति नहीं की गई है, जैसा कि कंपनी कानून में व्यवस्था की गई है।
बोर्ड में महिला सदस्यों की नियुक्ति की आखिरी तिथि 31 मार्च थी।
प्राइम डाटाबेस के प्रबंध निदेशक प्रणब हल्दिया ने नई दिल्ली से आईएएनएस को फोन पर बताया, “एनएसई में सूचीबद्ध कम से कम 180 कंपनियों ने नियमों का पालन नहीं किया है।”
उन्होंने कहा, “संभव है कि अगले सप्ताह भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) कोई आदेश जारी करे।”
सर्वोच्च न्यायालय के वकील और बीमा, कंपनी, प्रतिस्पर्धा कानून विशेषज्ञ डी. वरदराजन ने आईएएनएस से कहा, “हरेक सूचीबद्ध कंपनी, जिसकी चुकता पूंजी 100 करोड़ रुपये या अधिक या जिनकी सालाना आय 300 करोड़ रुपये या अधिक हो, के बोर्ड में एक महिला निदेशक होनी चाहिए।”
वरदराजन ने कहा, “नियम का पालन नहीं करने वाली कंपनी और कंपनी के हर अधिकारी को दंड दिया जा सकता है। कंपनी कानून के तहत यह दंड 50 हजार रुपये से कम नहीं होना चाहिए और यह पांच लाख रुपये तक हो सकता है।”
भारतीय उद्योग परिसंघ-दक्षिणी क्षेत्र के अध्यक्ष राजश्री पाथी ने आईएएनएस से कहा, “कॉरपोरेट प्रशासन की मुख्यधारा में महिलाओं को शामिल करने का यह कदम सराहनीय है।”
पाथी कोयंबटूर की कंपनी राजश्री सुगर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड की भी अध्यक्ष हैं।
उन्होंने कहा कि महिलाओं में कई बार कारोबार की वह समझ होती है, जो कई पुरुषों में नहीं होती है। इस लिहाज से वह कंपनी में अतिरिक्त मूल्य जोड़ती है।
हल्दिया ने उनसे सहमति जताते हुए कहा, “एक महिला निदेशक कंपनी में एक अलग सोच लाती है, जिन पर कई पुरुषों का ध्यान नहीं जाता है।”
उन्होंने हालांकि कहा कि नियम पालन करने के लिए कई प्रमोटर अपनी निकट संबंधियों को ही बोर्ड में शामिल कर रहे हैं।
पाथी ने कहा, “बोर्ड सदस्य चाहे महिला हो या पुरुष, उनका चयन प्रतिभा, उपलब्धि के आधार पर होना चाहिए। चयन प्रक्रिया महत्वपूर्ण है।”
मद्रास चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा महिला निदेशकों को प्रशिक्षित करने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में इंडियन बैंक की पूर्व अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक रंजना कुमार ने कहा, “अपने ऊपर भरोसा रखिए और कंपनी के आकार से आतंकित न होइए।”
उन्होंने कहा कि महिला निदेशकों को डरना नहीं चाहिए और आंकड़ों तथा तथ्यों के आधार पर अपने विचार रखने चाहिए।