श्रीनगर, 9 सितम्बर (आईएएनएस)। कश्मीर घाटी में अशांति और अस्थिरता का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा और शुक्रवार को 63वें दिन भी कई जगहों पर प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच झड़पें हुईं जिसमें दर्जनों नागरिक घायल हो गए।
माहौल की गंभीरता को देखते हुए दक्षिणी कश्मीर में सेना की तैनाती होनी तय है।
शुक्रवार को पणजी में मौजूद केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि ‘घाटी में पहले की अपेक्षा स्थिति पर बेहतर नियंत्रण पा लिया गया है’ तथा आने वाले दिनों में ‘पूरी तरह नियंत्रण पा लिया जाएगा।’
इस बीच श्रीनगर में मौजूद सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि घाटी में तैनाती के लिए अतिरिक्त अर्धसैनिक बलों को घाटी की ओर रवाना कर दिया गया है तथा मौजूदा अस्थिरता से सर्वाधिक प्रभावित दक्षिणी कश्मीर में सेना की तैनाती की जाएगी।
हालांकि सेना को भीड़ नियंत्रित करने से मना किया गया है, क्योंकि न तो उनके पास गैर-प्राणघातक हथियार हैं और न ही उन्हें इसके इस्तेमाल का प्रशिक्षण हासिल है। हालांकि सेना को सैन्य चौकियों और शिविरों पर पथराव की दशा में ‘आत्मरक्षा’ की छूट दी गई है।
सूत्रों ने बताया कि सेना आने वाले दिनों में कथित तौर पर पाकिस्तान से सीमा पार कर आए आतंकवादियों के खिलाफ व्यापक अभियान शुरू कर सकती है।
पणजी में राजनाथ सिंह के साथ मौजूद रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि अतिरिक्त सैन्य टुकड़ियों की तैनाती आतंकवादी गतिविधियों के खिलाफ की जा रही है तथा ‘सेना आंतरिक मामलों में तबतक कार्रवाई नहीं करती जब तक स्थानीय प्रशासन द्वारा कहा नहीं जाता है।’
पर्रिकर ने कहा, “स्थानीय प्रशासन को वहां सेना की मांग करनी पड़ेगी। जैसा कि जाट आन्दोलन के दौरान हरियाणा में हुआ। जब स्थानीय प्रशासन ने सेना की मांग की तब हम वहां गए और स्थानीय प्रशासन के आदेशों का अनुसरण किया। आंतरिक रूप से कहीं भी हम खुद से कार्रवाई नहीं करते हैं।”
रक्षा सूत्रों ने बताया कि इस बीच सेनाध्यक्ष जनरल दलबीर सिंह ने शुक्रवार को घाटी में सुरक्षा स्थितियों की समीक्षा की, खासकर दक्षिणी कश्मीर में। इसके अलावा उन्होंने कुपवाड़ा जिले में नियंत्रण रेखा के नजदीक सीमावर्ती इलाकों का भी दौरा किया।
इस बीच घाटी में लगातार 63वें दिन सड़कों पर विरोध प्रदर्शन, सुरक्षा प्रतिबंध, अलगाववादियों द्वारा बुलाई गई बंद के कारण सामान्य जनजीवन प्रभावित रहा तथा दुकानें, कारोबारी संस्थान, स्कूल एवं निजी तथा सरकारी कार्यालय बंद रहे।
सप्ताह की शुरुआत में हटा लिए गए कर्फ्यू को हिंसा की आशंका को देखते हुए फिर से लगा दिया गया। लेकिन श्रीनगर, दक्षिणी एवं उत्तरी कश्मीर के विभिन्न इलाकों में लोग कर्फ्यू के बावजूद विरोध प्रदर्शित करने सड़कों पर उतर आए और सरकार विरोधी एवं आजादी के समर्थन में नारेबाजी की।
प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षा बलों पर पथराव भी किया, जिसके जवाब में सुरक्षा बलों को पैलेट गन चलाने पड़े जिससे दर्जनों नागरिक घायल हो गए।
अधिकारियों ने श्रीनगर की जामिया मस्जिद में दोपहर में सामूहिक तौर पर होने वाली जुमे की नमाज अदा करने की इजाजत नहीं दी।
पुलिस ने बताया कि जुमे की नमाज के बाद पथराव की आशंका को देखते हुए जामिया मस्जिद इलाके में कर्फ्यू लगा दी गई है।
इधर शुक्रवार की सुबह श्रीनगर के ऊपरी हैदरपोरा स्थित अपने घर में नजरबंद अलगाववादी नेता सैयद अली गिलानी द्वारा बुलाए गए संवाददाता सम्मेलन को रद्द कर दिया गया।
गिलानी ने इसके बाद एक वक्तव्य जारी कर कहा कि भारत और कश्मीर की अवाम के बीच सिर्फ एक ही रिश्ता है और यह वही रिश्ता है जैसा कब्जेदार और अधिकृत के बीच होता है, साथ ही उन्होंने कश्मीर वासियों से बंद जारी रखने के लिए कहा।
गिलानी ने 2,000 से अधिक शब्दों वाले अपने इस बयान में ‘अपना फैसला खुद करने का अधिकार हासिल करने की लड़ाई करने वाले कश्मीरियों’ के प्रति समर्थन व्यक्त करने के लिए चीन और पाकिस्तान का आभार भी जताया।
गिलानी ने अपने इस वक्तव्य में आरोप लगाया है, “सरकार ने कश्मीर की आजादी के समर्थक ऐसे नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, समाज के प्रतिष्ठित व्यक्तियों, शीर्ष कारोबारियों, सरकारी अधिकारियों और पत्रकारों की एक सूची तैयार की है जो उसके षड्यंत्र में नहीं फंसे और जिनकी वह हत्या करना चाहती है।”
सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में आठ जुलाई को हिजबुल कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद शुरू हुए विरोध प्रदर्शनों के कारण गत नौ जुलाई से कश्मीर के बारामुला शहर और जम्मू के बनिहाल शहर के बीच रेल सेवा निलंबित है।
साल 2010 के बाद घाटी में अशांति के इस सबसे गंभीर दौर में अब तक कम से कम 76 लोग मारे जा चुके हैं और 11,000 से अधिक लोग घायल हुए हैं।