पुणे, 9 जनवरी (आईएएनएस)। कर्नाटक के तैराक श्रीहरि नटराज की पिछले साल हुए खेलो इंडिया स्कूल गेम्स को लेकर कई अच्छी यादें हैं। इसके बाद वह हालांकि तीन बड़े टूर्नामेंट्स में देश का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। बैकस्ट्रोक विशेषज्ञ खेलो इंडिया यूथ गेम्स में हिस्सा ले रहे हैं और अब देखना चाहते हैं कि एक प्रतिस्पर्धी के तौर पर वह कितने आगे आए हैं।
नटराज बुधवार सुबह कड़ाके की ठंड में श्री छत्रपति स्पोटर्स कॉम्पलेक्स में अभ्यास करने पहुंचे। अभ्यास के बाद उन्होंने कहा, “मैं बीते साल अक्टूबर में ब्यूनस आयर्स में खेले गए यूथ ओलम्पिक खेलों के बाद किसी भी टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं लिया। मेरा और मेरे कोच का मानना है कि कॉम्पटीशन में बने रहना जरूरी है।”
उन्होंने कहा, “यह मेरा पसंदीदा पूल है हालांकि तिरुवंनतपुरम और भोपाल के पूल ज्यादा तेज हैं।”
बेंगलुरू के इस खिलाड़ी ने अपने लिए बड़े पैमाने तय कर रखे हैं और उनकी कोशिश रहती है कि वह जब भी पूल में उतरें अपना सर्वश्रेष्ठ समय निकालें। उन्होंने कहा कि वह अपने आप को देश के शीर्ष खिलाड़ियों में देखना चाहते हैं और 2022 में होने वाले एशियाई खेलों में पदक जीतना चाहते हैं।
उन्होंने कहा, “यह कोई अलग समय नहीं है। जकार्ता में 100 मीटर और 200 मीटर के फाइनल में पहुंचने के बाद मैं जानता हूं कि वह पदक जीत सकता हूं।”
नटराज ने खेलो इंडिया स्कूल गेम्स-2018 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी पूल में उतरकर छह स्वर्ण और एक रजत पदक जीता था। 17 साल के इस लड़के ने राष्ट्रमंडल खेलों में 100 मीटर बैकस्ट्रोक स्पर्धा के सेमीफाइनल में जगह बनाई थी।
एक और तैराक जो इन खेलों में सभी की नजरों में रहेंगी वो हैं गुजरात की माना पटेल। वह चोट के बाद वापसी कर रही हैं। वह जानती हैं कि उन्हें हराना आसान नहीं होगा।
माना की कोशिश इन खेलों से इस साल होने वाले अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट की तैयारी करना है जिसके तहत वह टोक्यो ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई कर सकें।
अंडर-17 वर्ग में जो खिलाड़ी इन खेलों में हिस्सा ले रहे हैं उनके पास इस पूल में खेलने का अनुभव है क्योंकि वह बीते साल अप्रैल में नेशनल जूनियर चैम्पियनशिप में खेल चुके हैं। केआईवाईजी को दो वर्गो में अंडर-21 और अंडक-17 में बांटा गया है। अंडर-17 के खिलाड़ियों को इस बात की खुश होगी कि उन्हें सीनियर खिलाड़ियों के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं करनी पड़ेगी।
केआईवाईजी की आयोजन समिति ने कहा कि उनके पास अंडर-21 में पर्याप्त डाटा नहीं था इसलिए उन्होंने उन राज्यों को ज्यादा कोटा दिया है जो इस खेल में आगे हैं।
भारतीय तैराकी महासंघ के सचिव कमलेश नानावटी ने कहा है, “हमारे लिए यह सर्वश्रेष्ठ उपाय था क्योंकि देश में अंडर-21 की स्पर्धाएं कम हैं।”