नई दिल्ली, 17 सितंबर (आईएएनएस)। कमजोर मानसून के कारण मौजूदा कारोबारी साल में खाद्य तेल आयात बढ़कर 14 अरब डॉलर हो सकता है। यह बात गुरुवार को यहां एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम) ने कही।
ताजा आंकड़ों के मुताबिक, मानसूनी बारिश दीर्घावधि औसत से 12 फीसदी कम है।
एसोचैम द्वारा कराए गए एक अध्ययन में कहा गया है, “इसलिए अगर यह माना जाए कि तिलहन उत्पादन 2015-16 में 2014-15 के स्तर पर रहता है और यदि मांग बढ़ती है, तो 2015-16 में खाद्य तेल आयात खर्च बढ़कर 14 अरब डॉलर हो जाएगा, जो गत वर्ष 10 अरब डॉलर था।”
यह खर्च 2013-14 में 7.2 अरब डॉलर और इसके अगले साल में 46 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई थी।
गत वर्ष भी तिलहन उत्पादन क्षेत्रों में कम बारिश हुई थी और 10 अरब डॉलर आयात खर्च तब तक का सर्वाधिक था।
रिपोर्ट में कहा गया है, “इस साल हालांकि नया रिकार्ड बन जाएगा, क्योंकि गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में तिलहन उत्पादन कम रहने का अनुमान है।”
रिपोर्ट के मुताबिक, तिलहन उत्पादन वृद्धि दर मांग वृद्धि के मुकाबले कम रही है।
एसोचैम के महासचिव डीएस रावत ने कहा, “तिलहन अर्थव्यवस्था के विकास के लिए एक समक्षम प्रसंस्करण क्षेत्र अपरिहार्य है। कई प्रौद्योगिकी और नीतिगत कारणों से देश के तिलहन प्रसंस्करण क्षेत्र का उचित विकास नहीं हो पाया है।”