हरिद्वार, 28 सितंबर – गायत्री परिवार प्रमुख डॉ. प्रणव पण्ड्या ने रविवार को शांतिकुंज के मुख्य सभागार में गंगा के अस्तित्व को बचाने में सहयोग का आह्वान करते हुए कहा कि गंगा हम सबकी मां हैं और मां के संरक्षण की जिम्मेदारी हम सबकी है। समाज के प्रत्येक व्यक्ति को गंगा की सफाई के लिए आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत की जीवनदायिनी गंगा को लेकर आज पूरे विश्व में चचाएं हैं। युगों पहले सगर के साठ लाख पुत्रों को बचाने के लिए धरती पर अवतरित हुईं मां गंगा का अस्तित्व आज खतरे में है। ऐसे में गायत्री परिवार शांतिकुंज ने गंगा को 2525 किलोमीटर की दूरी तक जन अभियान के माध्यम से स्वच्छ बनाने का अनूठा प्रयास प्रारंभ किया है।
डॉ. पण्ड्या कहा कि जिस तरह भगीरथ के प्रयास से अवतरित गंगा से सगर के साठ लाख पुत्रों का उद्धार हुआ था, उसी तरह इस युग में गंगा को निर्मल बनाने में भगीरथ पुरुषार्थ करना होगा।
देव संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति ने निर्मल गंगा जन अभियान के तीसरे चरण का जिक्र करते हुए कहा कि इससे पूर्व दो चरण सफलतापूर्वक पूर्ण हो चुके हैं। तीन लाख से अधिक लोगों ने अब तक गंगा संरक्षण के संकल्प लिए हैं। तीसरे चरण में पिछले रविवार को गंगोत्री धाम से निर्मल गंगा अमृत कलश यात्रा का प्रारंभ हुआ है।
उन्होंने कहा कि कुल 2525 किलोमीटर लंबी गंगा की दोनों तटों को पांच भागों में बांटकर अमृत कलश यात्रा का शुभारंभ हुआ है। अभी प्रथम अमृत कलश रथ उत्तराखंड में अपनी यात्रा कर रहा है, वहीं दूसरे तट पर भी रथयात्रा शुरू हो गई है। भगीरथ, विश्वामित्र, भारद्वाज, गौतम और रामकृष्ण अंचलों के नाम से उत्तर भारत के पांच राज्यों को बांटा गया है।
उन्होंने बताया कि उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और बंगाल में गायत्री परिवार से जुड़े दस लाख स्वयंसेवी अपने तीन माह समयदान कर गंगा को स्वच्छ करने के लिए महा जनाभियान चलाएंगे। इसके अंतर्गत गंगा प्रज्ञा मंडलों का गठन कर लोगों को गंगा में कूड़ा-करकट नहीं डालने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
डॉ. पण्ड्या ने गंगा संरक्षण के लिए सरकार के साथ अपनी सहभागिता का उल्लेख भी किया। हाल ही में उन्होंने प्रधानमंत्री से मिलकर निर्मल गंगा जन अभियान की विस्तृत जानकारी दी है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सराहा तथा सरकार के सहयोग का विश्वास दिलाया है।
नवरात्रि साधना के लिए चैतन्य तीर्थ शांतिकुंज पहुंचे हजारों साधकों ने गंगा संरक्षण में अपने समय एवं अंश लगाने का संकल्प भी लिया।