नई दिल्ली, 17 जून (आईएएनएस)। वर्ष 2002 के गुजरात दंगे के दौरान हुए गुलबर्ग सोसाइटी नरसंहार मामले में विशेष अदालत ने शुक्रवार को फैसला सुनाया। 69 लोगों की हत्या के जुर्म में दोषी ठहराए गए 24 में से 11 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। इस नरसंहार में पूर्व कांग्रेसी सांसद एहसान जाफरी की क्रूरता के साथ हत्या कर दी गई थी।
फरवरी 2002 : गुजरात दंगों के दौरान हिन्दुओं की भीड़ ने अहमदाबाद में गुलबर्ग सोसाइटी पर हमला बोला, जिसमें 69 लोग मारे गए। मरनेवालों में सांसद एहसान जाफरी भी थे।
नवंबर 2007 : गुजरात उच्च न्यायालय ने एहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी की याचिका खारिज कर दी, जिसमें अदालत से तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी समेत 62 अन्य लोगों के खिलाफ गुलबर्ग सोसाइटी नरसंहार में कथित संलिप्तता को लेकर पुलिस को शिकायत दर्ज करने का निर्देश देने की अपील की गई थी।
मार्च 2008 : सर्वोच्च न्यायालय ने गुजरात सरकार को निर्देश दिया कि वह एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन कर गोधरा कांड और उसके बाद हुए 14 सांप्रदायिक दंगों की जांच करे। एसआईटी को गोधरा, सरदारपुरा, गुलबर्ग सोसाइटी, ओडे, नरोदा गांव, नरोदा पाटिया, दिपला दरवाजा और एक भारतीय मूल के ब्रिटिश नागरिक की हत्या की जांच करने को कहा गया।
अगस्त 2010 : सर्वोच्च न्यायालय ने विशेष जांच दल को जकिया जाफरी की शिकायत पर गुजरात में 2002 में हुए दंगों में मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और 62 अन्य के खिलाफ जांच करने की अनुमति दी।
मार्च 2010 : इस मामले की सुनवाई रुक गई, क्योंकि विशेष अभियोजक और उनके सहयोगी ने निचली अदालत के न्यायाधीश पर पक्षपात का आरोप लगाया और एसआईटी पर भी असहयोग का आरोप लगाया।
मार्च 2011 : गुजरात के पुलिस उपमहानिरीक्षक संजीव भट्ट ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित एसआईटी के सामने उपस्थित होकर 2002 के दंगों के दौरान मोदी के कथित विवादास्पद आदेश का खुलासा किया।
फरवरी 2012 : एसआईटी की समापन रपट में कहा गया कि उसे नरेंद्र मोदी के खिलाफ कोई ‘अभियोजन चलाने लायक सबूत’ नहीं मिला। नरेंद्र मोदी जकिया जाफरी और सिटिजन फॉर जस्टिस एंड पीस द्वारा दायर शिकायत में नामित किए गए 62 लोगों में से थे।
मार्च 2012 : अहमदाबाद की महानगर अदालत ने जकिया जाफरी की एसआईटी रपट को सार्वजनिक करने की मांग खारिज कर दी।
दिसंबर 2013 : अहमदाबाद की महानगर अदालत ने जकिया जाफरी की एसआईटी की समापन रपट, जिसमें गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दी गई थी, के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी।
दिसंबर 2013 : अहमदाबाद की निचली अदालत के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए एसआईटी के प्रमुख आर. के. राधवन ने कहा कि एसआईटी की रपट पर न्यायालय ने मुहर लगाई है।
नबंवर 2014 : गुलबर्ग सोसाइटी मामले में सर्वोच्च न्यायालय के सुनवाई तीन महीने में पूरी करने के निर्देश के बाद निचली अदालत में फिर सुनवाई शुरू हुई।
छह अगस्त, 2015 : सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई के लिए तीन महीने का और वक्त दिया।
दो जून, 2016 : विशेष अदालत ने 24 आरोपियों को दोषी करार दिया और 36 अन्य को बरी कर दिया।
17 जून, 2016 : विशेष एसआईटी अदालत ने 24 दोषियों में से 11 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई, एक व्यक्ति को 10 साल और 12 अन्य को सात साल कारावास की सजा सुनाई।