छत्तीसगढ़ बीज विकास निगम के अध्यक्ष श्याम बैस ने बताया कि रासायनिक खाद की बढ़ती कीमतों को देखते हुए यहां पर जैविक खाद की मांग बढ़ती जा रही है। गांव में पैरा, गोबर के साथ यह खाद बनाई जाती है। इसके अलावा अन्य देशी सामानों के आधार पर इसका निर्माण किया जाता है। चूंकि इसमें बैक्टीरिया एक महत्वपूर्ण कारक होता है, इसलिए अब इसे लंबे समय तक रखने की कोशिश की जा रही है।
उन्होंने कहा कि जैविक खाद को तरल रूप में रखा जाएगा। इसमें पांच, एक हजार और दो हजार मिलीलीटर वाली बोतल में डाला जाएगा, ताकि किसान इसका उपयोग कर सकें। उन्होंने कहा कि बीज विकास निगम ने इसके लिए अभनपुर में एक आधुनिक संयंत्र लगाने का निर्णय लिया है। इसके तहत मशीनों को आयात करने का आदेश दिया जा चुका है।
बैस ने कहा कि यह जैविक खाद किसानों के लिए लाभदायक सिद्ध होगी। वर्तमान में यूरिया, पोटाश और इफको की खाद का मूल्य जीएसटी लगने के कारण काफी महंगा हो गया है।
वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. के.के. साहू ने कहा कि तरल खादों के इस्तेमाल से भूमि की उर्वरता बढ़ेगी। इसको कहीं से ले आने और ले जाने में भी सुविधा होगी। साथ ही रासायनिक खादों से होने वाले नुकसान से भी लोगों को बचाया जा सकेगा।