Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/load.php on line 926

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826
 जीवन की कठिनाइयों, संघर्ष ने दिया यह मुकाम : दीपक हुड्डा (साक्षात्कार) | dharmpath.com

Wednesday , 14 May 2025

Home » खेल » जीवन की कठिनाइयों, संघर्ष ने दिया यह मुकाम : दीपक हुड्डा (साक्षात्कार)

जीवन की कठिनाइयों, संघर्ष ने दिया यह मुकाम : दीपक हुड्डा (साक्षात्कार)

नई दिल्ली, 6 अक्टूबर (आईएएनएस)। गुवाहाटी में इस साल हुए एशियन खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय कबड्डी टीम का हिस्सा रहे दीपक हुड्डा का कहना है कि जीवन के कड़े संघर्ष ने उन्हें मानसिक तौर पर इतना मजबूत किया कि वह इस मुकाम तक पहुंचे और उन्होंने राष्ट्रीय कबड्डी टीम में अपनी जगह पक्की की।

नई दिल्ली, 6 अक्टूबर (आईएएनएस)। गुवाहाटी में इस साल हुए एशियन खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय कबड्डी टीम का हिस्सा रहे दीपक हुड्डा का कहना है कि जीवन के कड़े संघर्ष ने उन्हें मानसिक तौर पर इतना मजबूत किया कि वह इस मुकाम तक पहुंचे और उन्होंने राष्ट्रीय कबड्डी टीम में अपनी जगह पक्की की।

कड़ी मेहनत और संघर्ष के दम पर 2016 एशियन खेलों में पहली बार राष्ट्रीय कबड्डी टीम में जगह बना पाने वाले खिलाड़ी दीपक को आगामी कबड्डी विश्व कप में भारतीय टीम में रेडर की भूमिका में देखा जाएगा।

अपने जीवन में कड़ा संघर्ष करते हुए इस स्तर तक पहुंचने के लिए मानसिक तौर पर किस प्रकार स्वयं को तैयार किया? इस बारे में पूछे जाने पर उन्होंने आईएएनएस के साथ एक साक्षात्कार में कहा, “मैंने माता-पिता की मौत के बाद रो कर हार न मानते हुए जिम्मेदारियों को संभालने का फैसला किया। अपनी बहन और उसके दो बच्चों की जिम्मेदारी मुझ पर थी और इसलिए मैंने नौकरी करना शुरू कर दिया।”

दीपक ने कहा, “हालांकि, इस बीच कबड्डी के लिए मैंने अपने जुनून को कम नहीं होने दिया और इससे भी मुझे काफी मजबूती और सहनशीलता मिली। इतनी मुसीबतों और कड़े संघर्ष से आगे बढ़ते हुए आप खुद ही मानसिक तौर पर मजबूत हो जाते हैं।”

हरियाणा के रोहतक जिले में चमारिया गांव के निवासी दीपक चार साल के थे, जब उनकी मां का देहांत हो गया था। 12वीं कक्षा में पढ़ने के दौरान उनके सिर से पिता का साया भी छिन गया और इस कारण वह घर में कमाने वाले अकेले रह गए।

स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह पार्ट-टाइम आधार पर बच्चों को पढ़ाने का काम करने लगे। इस दौरान, उन्होंने कबड्डी के खेल का अभ्यास भी जारी रखा, जिसके लिए उन्हें कई किलोमीटर दूसरे गांव जाना पड़ता था।

काम और खेल के बीच संतुलन बनाने के बारे में पूछे जाने पर दीपक ने कहा, “यह बेहद जरूरी है। मेरे लिए खेल महत्वपूर्ण है, लेकिन काम करना भी जरूरी है। मैंने इसके लिए कड़ी मेहनत की और आज इस मुकाम पर हूं।”

कबड्डी में रूचि के बारे में पूछे जाने पर दीपक ने कहा कि 10वीं में पढ़ने के दौरान बच्चों को इस खेल को खेलते देखता था और यहीं सबसे सस्ता खेल था और मंहगे खेल के लायक मेरे पास पैसे नहीं थे। इसलिए मैंने कबड्डी को चुना और इसी में आगे बढ़ता गया।

प्रो कबड्डी लीग के पहले संस्करण में तेलुगू टाइटेंस ने दीपक को 12.6 लाख रुपये में खरीदा था। वह इस सत्र में खरीदे जाने वाले दूसरे सबसे मंहगे खिलाड़ी थे।

दीपक से जब तेलुगू टीम में चुने जाने के बाद जहन में पहली बार आए विचारों के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा, “मेरे दिमाग में सबसे पहली चीज यहीं आई कि मैं अपनी बहन के बच्चों को अच्छी शिक्षा दूंगा। दीदी और उनके बच्चे मेरे साथ रहते हैं और इसलिए उनकी जिम्मेदारी निभाना मेरा काम है।”

दीपक ने कहा कि उन्हें यह जानकार काफी खुशी हुई थी कि वह तेलुगू के लिए चुने गए हैं और इससे मिलने वाले पैसों से वह घर की वित्तीय समस्याओं को दूर कर सकेंगे।

विश्व कप कबड्डी लीग के लिए तैयारियों के बारे में पूछे जाने पर दीपक ने कहा, “टूर्नामेंट के लिए तैयारियां अच्छे स्तर पर की जा रही है। सुबह और शाम दोनों सत्र में तीन-तीन घंटे का अभ्यास किया जाता है। हमारे कोच बलवान सिंह हमें निर्देश देते हैं और कमियों को दिखाते हैं।”

भारतीय टीम में रक्षात्मक और आक्रामक पंक्ति के बीच तुलना के बारे में दीपक ने कहा कि टीम की आक्रामक पंक्ति काफी मजबूत है, जिसमें दीपक के साथ प्रदीप नरवाल, अनुप कुमार जैसे अनुभवी खिलाड़ी शामिल हैं।

दीपक ने कहा कि वह उसेन बोल्ट को अपना आदर्श मानते हैं और कबड्डी में राकेश कुमार से उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है।

हरियाणा के कबड्डी खिलाड़ी का कहना है कि सात अक्टूबर से अहमदाबाद में शुरू हो रहे कबड्डी विश्व कप में ईरान और दक्षिण कोरिया की टीमें भारतीय टीम को काफी अच्छी प्रतिद्वंद्विता दे सकती हैं।

जीवन की कठिनाइयों, संघर्ष ने दिया यह मुकाम : दीपक हुड्डा (साक्षात्कार) Reviewed by on . नई दिल्ली, 6 अक्टूबर (आईएएनएस)। गुवाहाटी में इस साल हुए एशियन खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय कबड्डी टीम का हिस्सा रहे दीपक हुड्डा का कहना है कि जीवन के नई दिल्ली, 6 अक्टूबर (आईएएनएस)। गुवाहाटी में इस साल हुए एशियन खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय कबड्डी टीम का हिस्सा रहे दीपक हुड्डा का कहना है कि जीवन के Rating:
scroll to top