सोनीपत, 22 अप्रैल (आईएएनएस)। एक अच्छा नेता बनने के लिए क्या चाहिए? बलिदान, चौड़े कंधे और बड़ा दिल। ऐसा यहां ओ. पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी (जेजीयू) द्वारा आयोजित ‘लीडरशिप समिट 2के19’ में विशेषज्ञों ने कहा। इस सम्मेलन में व्यवसायिक दुनिया और उद्यमों के नेतृत्व ने अपनी प्रतिभा और कड़ी मेहनत के बूते एक साधारण व्यक्ति से कॉर्पोरेट वर्ल्ड में आगे बढ़ने की यात्रा और संघर्षो की कहानियां साझा की।
जेजीयू ने एक बयान में कहा, ‘सफर : द जर्नी ऑफ सक्सेस’ ने दर्शकों को एक ऐसा मंच प्रदान किया, जहां उन्हें सफलता की कहानियों ने प्रेरित किया। उद्यमियों ने अपने काम के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण, अंतहीन प्रयासों और दृढ़ समर्पण की कहानियों को साझा किया, जिसने उन्हें उस ऊंचाई तक पहुंचाया, जिसका ज्यादातर लोग सपना देखते हैं।
जेजीयू के संस्थापक कुलपति प्रो. (डॉ.) सी राजकुमार ने स्वागत भाषण में कहा, “सफलता का सफर बिना बड़ी कुर्बानियों के पूरा नहीं होता है। जो छात्र अपने भविष्य में अच्छा करने की ख्वाहिश रखते हैं, उन्हें यह याद रखना चाहिए कि आप सफर में ज्यादातर अकेले होंगे और कई बार आपको अपने निर्णयों पर संदेह हो सकता है, लेकिन आपको स्वाभाविक बुद्धि से निर्णय लेना चाहिए। यह ज्ञान और कौशल को विकसित करने में तथा सपने देखने और उसे पूरा करने में मदद करता है।”
उन्होंने सफलता का वर्णन गंतव्य नहीं, बल्कि एक यात्रा के रूप में किया और कहा कि हर किसी को सपनों को पूरा करने के लिए उद्यम करना चाहिए।
जेजीयू के सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल ए. के. सिंह (सेवानिवृत्त) ने सामने से मोर्चा संभालने के महत्व के बारे में बताया।
अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह के पूर्व राज्यपाल, जिसमें भारतीय सेना के दक्षिणी कमांड की अगुवाई की है। उन्होंने कहा, “सेना तभी आगे बढ़ेगी, जब उनकी संख्या काफी अधिक हो या युवा नेतृत्व सामने बढ़कर मोर्चा संभाले। कारोबार में, पारिश्रमिक या पदोन्नति से प्रेरणा मिलती है। लेकिन सेना में मजबूत नेतृत्व सबसे जरूरी है। हरेक संस्था के वरिष्ठ नेतृत्व में दो गुण होना चाहिए। पहला चौड़े कंधे और दूसरा बड़ा दिल।”
सम्मेलन में वक्ताओं ने अपने संघर्षो और प्रेरणाओं को साझा किया।
पोलारिस इंडिया और इंडियन मोटरसाइकिल्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी पंकज दूबे ने ईमानदारी और प्रमाणिकता के महत्व पर जोर दिया और कहा कि सीखने की इच्छा को कभी रोकना नहीं चाहिए।
एक्सबीएचपी के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी संदीप गज्जर ने सफलता को परिभाषित करते हुए कहा कि अंदर की खुशी ही सफलता है। एक शौकिया फोटोग्राफर, यात्री और वाहन प्रेमी ने अपने जुनून को पेशे में बदलने की अपनी यात्रा को साझा किया।
उन्होंने कहा, “इन 17 सालों में मैं वाहन चलाता रहा, फोटो खींचता रहा और 55 देशों की यात्राएं की। मैंने अपने सुपरबाइक से भारत से ऑस्ट्रेलिया तक 22,000 किलोमीटर की यात्रा की है। मेरे लिए सफलता का मतलब है कि मैं कैसा महसूस करता हूं। यहां मैं केवल आप सभी को प्रेरित करना चाहता हूं कि अगर आपमें जुनून है और आपको लगता है कि उसे पेशे में बदला जा सकता है, तो सबसे पहले अपनी पढ़ाई पूरी करें और फिर अपने सपनों का पीछा करें।”
यह सम्मेलन ‘बिजनेस्ट 2019’ मैनेजमेंट फेस्ट का हिस्सा था, जो कि अंतर-कॉलेज कार्यक्रम है, जिसमें देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों की नवोदित प्रतिभा को साथ लाने का प्रयास किया गया। इसका आयोजन जिंदल इंस्टीट्यूट ऑफ बिहेविरल साइंसेज के सेंटर फॉर लीडरशिप एंड चेंज की भागीदारी में किया गया।