भोपाल, 11 जुलाई (आईएएनएस)। व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) घोटले के कारण विवादों में आए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने ही अंदाज में विरोधियों पर वार किया और कहा कि ‘त्रेता युग में भी जलने वाले कुछ हुआ करते थे।’ उनका आशय ईष्र्या करने वालों से था।
राजधानी भोपाल के समन्वय भवन में शनिवार की शाम को गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा के उपन्यास ‘परितप्त लंकेश्वरी’ के लोकार्पण कार्यक्रम में मुख्यमंत्री चौहान के दिल की बात आखिरकार जुबां पर आ ही गई। इन दिनों राज्य का व्यापमं घोटाला देश की सुर्खियां बना हुआ है और 48 मौतों के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने यह मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपा है। चौहान पिछले कई दिनों से कांग्रेस पर राज्य और अपनी छवि धूमिल करने का आरोप लगाते आ रहे हैं।
चौहान ने लोकार्पण समारोह में कहा, “त्रेता युग में भी जलने वाले लोग हुआ करते थे।” उनके कहने का आशय यह था कि ईष्र्या करने वाले तब भी थे, लेकिन अब लोग सवाल करने लगे हैं।
चौहान की यह बात सुनते ही आयोजन स्थल जब ठहाकों से गूंज उठा तो उन्हें लगा कि इस वाक्य को राज्य के राजनीतिक हालात से जोड़ दिया जाएगा, तब उन्होंने स्पष्ट किया, “मेरे कहने का मतलब और कुछ नहीं था, इस तरह के लोग तो सदैव रहते आए हैं चाहे त्रेता युग हो या द्वापर युग।”
इस समारोह में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन और सरकार के कई मंत्री व संगठन के कई पदाधिकारी उपस्थित थे।