होशियारपुर, 4 अप्रैल (आईएएनएस)। पंजाब में यहां लगभग पांच हजार साल पुरानी ज्योतिष परंपरा आज तक फल-फूल रही है। इसे मानने वाले देश ही नहीं, कई देशों के लोग हैं, जो भारत आने पर इसका लाभ लेने से नहीं चूकते। राजनीतिज्ञ से लेकर फिल्म अभिनेता तक ज्योतिषियों की गली आकर अपना भूत-भविष्य पता कर चुके हैं।
पंजाब के रेलवे मंडी इलाके में एक पता पूछने पर आपको शायद ही कोई जवाब दे, लेकिन अगर आप ‘भृगु’ नाम लें तो झटपट पते का इशारा मिल जाएगा।
भृगु शास्त्री को ढूंढने वालों के लिए ‘भृगुअन दी गली’ (भृगु ज्योतिषियों का रास्ता) ही मंजिल है। यहां तक पहुंचने वालों में देश के विभिन्न हिस्सों के लोग ही नहीं, बल्कि विदेशी भी शामिल हैं।
तकनीक के इस दौर में आधुनिक ज्योतिषियों द्वारा इंटरनेट से भीषण चुनौतियां मिलने के बावजूद ये ‘भृगु संहिता’ पर ही भरोसा करते हैं। भृगु संहिता लगभग पांच हजार साल पुराना एक धार्मिक ग्रंथ है, जिसे ऋषि भृगु ने लिखा था।
भृगु शास्त्री रामानुज शर्मा ने यहां आईएएनएस से कहा, “देश व दुनिया भर से लोगों का यहां आना जारी है। यहां आने वाले लोगों में विदेशी व एनआरआई भी हैं।”
संस्कृत में डॉक्टर की उपाधि रखने वाले शर्मा ने कहा, “भृगु परंपरा में विदेशी अपार विश्वास करते हैं। वे पारंपरिक संकल्पनाएं जैसे बृघु ज्योतिष, ध्यान व शाकाहारवाद सीखते हैं। हर धर्म के लोग भृगु परंपरा को मानते हैं।”
उन्होंने कहा कि भृगु संहिता तीन परिवारों के साझा भंडार में सुरक्षित रखा गया है।
शर्मा ने कहा, “ग्रंथ को एक स्टोर रूम में रखा गया है और वह कई टन वजनी है। उपलब्ध पृष्ठों के लिए एक सूचकांक तैयार किया गया है, ताकि जरूरत पड़ने पर संबंधित हिस्से को देखा जा सके।”
जब कोई व्यक्ति भृगु शास्त्री को अपना नाम, जन्म तिथि, माता-पिता का नाम जैसी जानकारियां देता है, उसके बाद भृगु संहिता में उससे संबंधित जानकारियां ढूंढी जाती हैं।
उन्होंने कहा, “जब नाम मिल जाता है, तो व्यक्ति को बुलाया जाता है और उसे उसका अतीत व भविष्य बताया जाता है।”
राजनीतिज्ञ जैसे पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी तथा हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भजन लास एवं फिल्म अभिनेताओं में धर्मेद्र, हेमा मालिनी, संजय दत्त जैसे सितारे भृगु शास्त्रियों से यहां आकर मिल चुके हैं। लेकिन गं्रथ से सभी के बारे में जानकारियां प्राप्त नहीं की जा सकीं।
होशियारपुर के एक निवासी भगवंत सिंह ने आईएएनएस से कहा, “मैंने अपना रिकॉर्ड चेक किया है। उसका कुछ हिस्सा सही था, जबकि मेरे जीवन के कुछ पहलू उसमें मौजूद नहीं थे। मैं आंखें मूंदकर उसमें विश्वास नहीं कर सकता। लेकिन कुछ लोग इस पर बेहद विश्वास करते हैं।”