कराची, 5 अक्टूबर (आईएएनएस)। पाकिस्तानी सिनेमाघरों के मालिकों द्वारा भारत में पाकिस्तानी कलाकारों को प्रतिबंधित करने की प्रतिक्रियास्वरूप भारतीय फिल्मों को प्रतिबंधित करने से पायरेसी को बढ़ावा मिल सकता है।
समाचार पत्र ‘द डॉन’ की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय फिल्म संघ द्वारा बॉलीवुड में पाकिस्तानी कलाकारों को प्रतिबंधित करने के मद्देनजर पिछले सप्ताह पाकिस्तानी सिनेमाघरों ने भारतीय फिल्मों पर अनिश्चितकालीन प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी।
लाहौर स्थित सुपर सिनेमा के जनरल मैनेजर खोरेम गुलतसाब ने कहा कि बॉलीवुड फिल्मों से पाकिस्तानी सिनेमा उद्योग को 50-60 फीसदी राजस्व प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि भारतीय फिल्मों पर रोक अपनी सेना और अपने कलाकारों के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए है।
भारतीय फिल्मों के लिए पाकिस्तान तीसरा सबसे बड़ा बाजार है।
सिनेमाघरों में नई के साथ अब पुरानी पाकिस्तानी फिल्में दिखाई जा रही हैं। लेकिन, गुलतसाब ने कहा कि पाकिस्तानी सिनेमा अपने दम पर अपना अस्तित्व नहीं बनाए रख सकता। अधिकांश पाकिस्तानी फिल्में महज एक सप्ताह सिनेमाघरों में टिक पाती हैं और सफल फिल्में दो सप्ताह टिकती हैं।
उन्होंने बताया कि पिछले साल 15 पाकिस्तानी फिल्म रिलीज हुईं। इस साल अब तक छह पाकिस्तानी फिल्में रिलीज हुई हैं, जिनमें से तीन फ्लॉप हुई हैं।
‘द डॉन’ ने गुलतासाब के हवाले से कहा, “पाकिस्तान और भारत पड़ोसी हैं और पड़ोसी रहेंगे। दोनों कहीं नहीं जा रहे हैं, अगर वे दोनों मित्र नहीं बने रह सकते तो उन्हें सहअस्त्वि को सीखने की जरूरत है।”
उन्होंने उम्मीद जताई कि भारतीय फिल्मों पर से प्रतिबंध जल्द हटा लिया जाएगा।
कराची स्थित एट्रियम और सेंताओरस सिनेमा के मालिक नदीम मांडीवाला ने कहा कि भारतीय फिल्मों पर प्रतिबंध से व्यापार को नुकसान होगा। इससे पायरेसी की जीत होगी।
‘पिंक’, ‘बार-बार देखो’, और ‘मोहेंजोदारो’ जैसी फिल्में प्रतिबंध लगने के पूर्व पाकिस्तानी सिनेमाघरों में दिखाई जा रही थीं। अब ‘मिर्जिया’ और ‘शिवाय’ को रिलीज नहीं किया जाएगा।