देहरादून, 2 अप्रैल (आईएएनएस)। मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी में कथित तौर पर फर्जी भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी के तौर पर रहने वाली महिला के मामले की जांच के लिए गुरुवार को एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
महिला ने हालांकि सनसनीखेज खुलासा करते हुए कहा है कि वह एक प्रशिक्षु आईएएस अधिकारी नहीं थी, इस बात का पता उप निदेशक को था।
उत्तराखंड सरकार ने एक महिला अधिकारी की अध्यक्षता में एसआईटी का गठन किया है, जो यह जांच करेगा कि रूबी चौधरी नामक महिला आखिर कैसे महीनों तक अकादमी में रहने में सफल रही।
चौधरी ने कहा कि उप निदेशक सौरभ जैन जानते थे कि वह एक प्रशिक्षु आईएएस नहीं है। उसने मीडिया को यह भी बताया है कि जैन ने ही अकादमी में रहने में उसकी मदद की।
पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) बी.एस.सिद्धू ने कहा कि मामले की पूरी गंभीरता से जांच की जा रही है।
चौधरी ने अकादमी के उपनिदेशक सौरभ जैन (38) पर आरोप लगाया है कि लाइब्रेरियन की नौकरी देने के लिए उन्होंने उससे 20 लाख रुपये लिए। जैन केरल कैडर के आईएएस अधिकारी हैं।
उसने कहा कि जब यहां राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी आए थे, तो समूह फोटोग्राफ में वह भी शामिल थी, जो सुरक्षा में गंभीर चूक को दर्शाता है।
चौधरी ने यह भी आरोप लगाया कि जैन ने उसे चुप रहने के एवज में पांच करोड़ रुपये देने का लालच दिया।
यह मामला तब प्रकाश में आया, जब अप्रैल के अंत में राष्ट्रपति के अकादमी के प्रस्तावित दौरे के मद्देनजर सुरक्षा की दृष्टि से परिसर में रहने वाले प्रशिक्षु आईएएस अधिकारियों की सूची की छानबीन की जा रही थी। इस दौरान यह बात सामने आई कि रूबी चौधरी बीते छह महीनों से यहां एक प्रशिक्षु आईएएस अधिकारी के रूप में रह रही थी।
जैन वर्तमान में उत्तराखंड में प्रतिनियुक्ति पर हैं। उन्होंने उत्तराखंड में कई पदों पर काम किया है और सितंबर 2013 में वह अकादमी के उप निदेशक बने थे।