मुंबई, 5 अप्रैल (आईएएनएस)। फीके तिमाही परिणामों और मौद्रिक नीति में यथास्थिति की संभावना से आगामी कारोबारी सप्ताह में देश के शेयर बाजारों की गतिविधि मंद रहने की संभावना है।
जायफिन एडवाइजर्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी देवेंद्र नेवगी ने आईएएनएस से कहा, “यद्यपि बाजार का अनुमान है कि चौथी तिमाही के परिणाम फीके रहेंगे, फिर भी कंपनियों द्वारा दिए जाने वाले आय अनुमानों से बाजार की गतिविधि प्रभावित हो सकती है।”
नेवगी ने कहा, “भावी परिदृश्य को लेकर भारतीय रिजर्व के बयान की भाषा भी बाजार को प्रभावित करने वाला एक प्रमुख कारक रहेगी। निवेशकों की नजर आने वाले समय में ग्रीस में वित्तीय घटनाक्रमों पर भी टिकी रहेगी।”
फरवरी महीने में उपभोक्ता महंगाई दर में थोड़ी वृद्धि से चिंता व्याप्त हो गई है, क्योंकि इससे 2015-16 की प्रथम द्विमाही मौद्रिक नीति समीक्षा में दर कटौती की संभावना धूमिल हो गई है।
रिजर्व बैंक की अगली मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा सात अप्रैल को आएगी।
कोटक सिक्युरिटीज के प्राइवेट क्लाइएंट ग्रुप रिसर्च के प्रमुख दीपेन शाह ने कहा कि फीके तिमाही परिणाम के कारण भारतीय शेयर बाजारों पर वैश्विक घटनाक्रमों का असर रहेगा।
शाह ने कहा कि वित्तीय और मौद्रिक मोर्चे पर सकारात्मक कदम उठाए जाते हैं, तो बाजार में थोड़ी तेजी आ सकती है।
शाह ने कहा, “अधिक वित्तीय सुधार और आने वाले समय में विकास दर बढ़ने की संभावना के कारण मध्यम से लंबी अवधि में बाजार के सकारात्मक रहने की उम्मीद है।”
जियोजीत बीएनपी पारिबास के उपाध्यक्ष गौरंग शाह ने भी उम्मीद जताई कि निकट अवधि में बाजार में उतार-चढ़ाव रहने की संभावना है।
शाह ने कहा, “मौद्रिक नीति समीक्षा में हमें दरों में कटौती की उम्मीद नहीं है और निवेशक स्थानीय और वैश्विक अर्थव्यवस्था और वित्तीय बाजारों पर रिजर्व बैंक की टिप्पणी पर टकटकी लगाए रहेंगे।”
शाह ने कहा कि बेमौसम बारिश के कारण फसलों की व्यापक बर्बादी हुई है और इससे महंगाई दर बढ़ने की संभावना है तथा उसके कारण रिजर्व बैंक की दर कटौती की संभावना और धूमिल हो गई है।
यमन अस्थिरता के कारण कच्चे तेल मूल्य में हुए इजाफे और उसके कारण अमेरिका, यूरोप तथा एशियाई शेयर बाजारों में देखे जा रहे उतार-चढ़ाव का भी भारतीय बाजार पर असर रहेगा।
अमेरिका में बेरोजगारी घटने की धीमी रफ्तार भी एक अन्य खास बात है। अमेरिका में नौकरीपेशा लोगों की संख्या मार्च में सिर्फ 1,26,000 बढ़ी, जबकि बाजार को इसमें 2,45,000 वृद्धि का अनुमान था। इस बीच बेरोजगारी दर 5.5 फीसदी पर बरकरार रही।
करीब एक साल में यह पहला मौका है कि अमेरिका में नौकरीपेशा लोगों की संख्या दो लाख से कम बढ़ी है।
नौकरीपेशा लोगों की संख्या में धीमी वृद्धि से यह संभावना बनी है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दर बढ़ाने की जल्दबाजी नहीं करेगा और इसके कारण विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक भारत जैसे उभरते बाजार में बने रहेंगे और इससे बाजार में तेजी को थोड़ा बल मिल सकता है।
इस बीच देश के शेयर बाजारों में पिछले संक्षिप्त कारोबारी सप्ताह में प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी में दो फीसदी से अधिक तेजी दर्ज की गई।
बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स पिछले सप्ताह 2.92 फीसदी या 801.50 अंकों की तेजी के साथ शुक्रवार को 28,260.14 पर बंद हुआ।
इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 2.94 फीसदी या 244.85 अंकों की तेजी के साथ 8,586.25 पर बंद हुआ।
शेयर बाजारों में गत सप्ताह सिर्फ तीन कारोबारी सत्र संपन्न हुए। गुरुवार और शुक्रवार को क्रमश: महावीर जयंती तथा गुडफ्राइडे के अवसर पर बाजार बंद रहे।