भोपाल, 18 जनवरी (आईएएनएस)। ‘श्मशान घाट’ या मुक्तिधाम की बात आए तो हर किसी के दिल व दिमाग में सिर्फ इंसान के अंतिम संस्कार स्थल की तस्वीर घूम जाती है, मगर आपको यह जानकर अचरज होगा कि मध्य प्रदेश की राजधानी में गायों के अंतिम संस्कार के लिए मुक्तिधाम बनाया जाएगा। नगर निगम ने इसके लिए प्रयास तेज कर दिए हैं।
भोपाल, 18 जनवरी (आईएएनएस)। ‘श्मशान घाट’ या मुक्तिधाम की बात आए तो हर किसी के दिल व दिमाग में सिर्फ इंसान के अंतिम संस्कार स्थल की तस्वीर घूम जाती है, मगर आपको यह जानकर अचरज होगा कि मध्य प्रदेश की राजधानी में गायों के अंतिम संस्कार के लिए मुक्तिधाम बनाया जाएगा। नगर निगम ने इसके लिए प्रयास तेज कर दिए हैं।
भोपाल नगर निगम के महापौर आलोक शर्मा गायों के अंतिम संस्कार के लिए मुक्तिधाम बनाने की बात कह रहे हैं। शर्मा ने कहा, “गाय दूध देती है तो उसकी पूजा होती है, जब वह दूध देना बंद कर देती है तो वह आवारा कहलाने लगती है। उसकी उपेक्षा की जाती है और मरने पर उसे कहीं भी फेंक दिया जाता है। चील, कौवे, गिद्ध उसे नोंचते हैं। इसलिए भोपाल नगर निगम गौ-मुक्तिधाम बनाना चाहता है। हमें जैसे ही जगह मिलेगी, गौ-मुक्तिधाम बनाएंगे।”
शर्मा का कहना है कि गौ-श्मशान केंद्र के निर्माण की चर्चा पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के काल में ही शुरू हो गई थी। अब इसे आगे बढ़ाया जाएगा।
राज्य में गाय के अलावा अन्य आवारा मवेशी एक बड़ी समस्या बन गए हैं। सड़कों पर घूमते ये मवेशी जहां दुर्घटनाओं का कारण बन रहे हैं तो दूसरी ओर यही मवेशी लोगों के खेतों में घुसकर फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं। कांग्रेस ने चुनाव से पहले अपने वचनपत्र में गायों के लिए हर ग्राम पंचायत में गौशाला बनाने का वादा किया था। उस पर अमल के भी सरकारी स्तर पर प्रयास हो रहे हैं।
भाजपा शासित नगर निगम के महापौर के ऐलान पर प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा है कि गायों के लिए जो भी अच्छा काम करेगा, सरकार उसे प्रोत्साहित करेगी। सरकार अपने वचनपत्र पर काम कर रही है।
राज्य में मवेशियों की संख्या को लेकर उपलब्ध आंकड़े बताते हैं कि करीब 2़27 करोड़ मवेशी हैं, जिसमें 90 लाख दुधारू पशु हैं, जिसमें 54 लाख गायें हैं। सड़कों पर नजर आने वाली गायें वास्तविकता से रूबरू करा जाती हैं।
किसान नेता केदार सिरोही का कहना है कि महापौर की पहल स्वागत योग्य है, मगर उन्हें उन गायों के लिए भी पहल करनी चाहिए, जो चार से छह माह की आयु में ही चारा-पानी के अभाव में जीवन को असमय खो देती हैं।
राज्य में विधानसभा चुनाव के समय भी गाय एक बड़ा मुद्दा बन गया था। कांग्रेस ने गायों के लिए खास प्रयास करने का वादा किया था और हर ग्राम पंचायत में गौशाला बनाने की बात कही थी। कांग्रेस की सरकार बनी और उसके बाद सड़कों पर घूमती गायों के साथ अन्य मवेशियों को पकड़ने का अभियान चल पड़ा है। दूसरी ओर, ग्राम पंचायत स्तर पर गौशाला बनाए जाने की प्रक्रिया जारी है।
इससे पहले भाजपा ने सितंबर, 2017 में आगर मालवा जिले में गौ-अभयारण्य बनाया था। यह देश का पहला गौ-अभयारण्य था। अब राज्य की राजधानी में गायों के अंतिम संस्कार के लिए गौ-मुक्तिधाम बनाए जाने की चर्चाएं चल रही हैं।