भोपाल, 21 जनवरी (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश में अत्याचार और उत्पीड़न के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के दो दलित अफसरों ने अब सामाजिक आंदोलन का बिगुल बजाने का मन बनाया है। वे दलित और आदिवासी वर्ग में चेतना जगाने की तैयारी में हैं।
मन में हौसला इतना कि सरकार और नौकरशाह अगर इस मुहिम में बाधा डालेंगे, तो वे नौकरी छोड़ने से भी नहीं हिचकेंगे।
राज्य के बाल संरक्षण आयोग के सचिव रमेश थेटे और निलंबित शशि कर्णावत की पहचान अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ने वाले दलित अफसरों की बन गई है। दोनों अपने साथ जातीय आधार पर भेदभाव का मुद्दा उठाते रहे हैं।
दलित अफसरों ने इसके खिलाफ पहले प्रशासनिक स्तर पर आवाज उठाई और फिर विभिन्न मंचों पर आकर अपनी आपबीती कही। बीते एक पखवाड़े में इन दोनों अधिकारियों ने दो बार मंच साझा किए और सरकार व कई नौकरशाहों के नाम उजागर किए।
थेटे के खिलाफ लोकायुक्त में 10 मामले दर्ज हुए। उनका दावा है कि नौ में उन्हें न्यायालय से न्याय मिला और 10वां मामला भी बदनीयत से दर्ज कराया गया। उन्होंने आईएएनएस से बातचीत में आरोप लगाया कि वर्तमान में दलितों और आदिवासी अधिकारियों को बदनाम करने की साजिश चल रही है, ताकि वे मुंह न खोल पाएं।
थेटे का कहना है कि वह अपने पद के अनुरूप काम व वेतन मांग रहे हैं और यह उनका अधिकार है।
वहीं दलित महिला आईएएस अधिकारी शशि कर्णावत भी अपने ऊपर लगे आरोपों को बेबुनियाद साबित करने की लड़ाई लड़ रही हैं। उन पर मुद्रण कार्य में गड़बड़ी का आरोप है। सरकार ने मामला खत्म करने का फैसला लिया था, लेकिन बाद में उस फाइल को दोबारा खोलकर मामले को चलाने की अनुमति दी गई। न्यायालय ने उन्हें सजा सुनाई, इसके खिलाफ वह उच्च न्यायालय गईं।
शशि ने आईएएनएस को सारे दस्तावेज दिखाते हुए कहा कि उन्हें एक साजिश के तहत फंसाया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि कई अफसर एक बैच और एक शहर से नाता रखने वाले हैं, लिहाजा पूरी व्यूह रचना के तहत उन्हें फंसाया गया है। वह अपने साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगी।
उनका कहना है कि वह समाज में चेतना लाने के लिए सार्वजनिक मंचों पर जाएंगी और अपने साथ हो रहे अन्याय को यह कहते हुए बयां करेंगी कि यह आवाज हर दूसरे नागरिक की है।
सूत्रों की मानें तो इन दोनों अफसरों को उनकी लड़ाई में दलित-आदिवासी के अलावा सर्वण वर्ग से नाता रखने वाले कई अफसरों का भी साथ मिल रहा है। हालांकि वे खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं।