राजकोट, 28 अगस्त (आईएएनएस)। विगत चार दशकों में सूखे के दौरान लोगों ने अपनी फसलों को मुरझाते हुए देखा है, लेकिन सितंबर, 2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने महत्वाकांक्षी सिंचाई परियोजना की शुरुआत की थी, जिसका लाभ अब सौराष्ट्र क्षेत्र के ग्रामीणों को मिलने की उम्मीद है।
राजकोट, 28 अगस्त (आईएएनएस)। विगत चार दशकों में सूखे के दौरान लोगों ने अपनी फसलों को मुरझाते हुए देखा है, लेकिन सितंबर, 2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने महत्वाकांक्षी सिंचाई परियोजना की शुरुआत की थी, जिसका लाभ अब सौराष्ट्र क्षेत्र के ग्रामीणों को मिलने की उम्मीद है।
प्रधानमंत्री मोदी 30 अगस्त को राजकोट स्थित अजी बांध संख्या तीन पर सौराष्ट्र नर्मदा अवतारण सिंचाई (एसएयूएनआई) परियोजना के प्रथम चरण का उद्घाटन करने वाले हैं। सौराष्ट्र क्षेत्र के 105 गांवों की 47,943 हेक्टेयर जमीन को सिंचित करने में प्रथम चरण मदद करेगा।
इस क्षेत्र के किसान पहले जाड़े के मौसम केवल रबी की फसल उगाते थे, लेकिन इस परियोजना के कारण अब वर्षा ऋतु में खरीफ की फसल भी उगाने में सक्षम होंगे।
एसएयूएनआई सरदार सरोवर बांध से नर्मदा के जल अधिशेष को संग्रहीत करने के लिए एक बड़ी पाइपलाइन नेटवर्क परियोजना है, जिसका उद्देश्य सूखाग्रस्त सौराष्ट्र क्षेत्र के 12 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचित करना करना है।
सौराष्ट्र के मोरबी जिले के बगथला गांव के निवासी गोपाल भाई पटेल (52) ने आईएएनएस से कहा, “हमने दशकों से सूखे की मार झेली है और यह एसएयूएनआई पाइपलाइन परियोजना हमलोगों के लिए एक वरदान है।”
गोपाल भाई के पास करीब 40 बीघा जमीन है, जिसने प्राय: हर साल सूखे की मार झेली है।
इस क्षेत्र के किसान मुख्य रूप से मूंगफली, कपास और गेहूं की खेती करते हैं। कम वर्षा होने के कारण खेती में भारी घाटा होता है।
गोपाल भाई पटेल ने कहा, “सूखे जैसी स्थिति होने के कारण हमारी जमीन प्रति बीघा 8 क्विं टल कपास का उत्पादन करती है, जबकि अच्छी वर्षा होने पर यह उत्पादन बढ़कर 22 क्विं टल प्रति बीघा हो जाता है।”
उन्होंने आगे कहा, “हम उम्मीद करते हैं कि एसएयूएनआई परियोजना हमारी सिंचाई की जरूरतें पूरी करेंगी।”
सूखे के कारण आसपास के इलाके के किसानों ने हीरा घिसने वाली या टाइल बनाने वाली फैक्ट्रियों में काम करना शुरू कर दिया है।
राजकोट सिंचाई परियोजना मंडल के अधीक्षण अभियंता एच.यू. कल्याणी ने आईएएनएस से कहा, “हमने रिकार्ड समय, दो साल में परियोजना के प्रथम चरण के काम पूरे किए हैं।”
कल्याणी ने कहा, “प्रथम चरण में 57 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन के काम पूरे होने से इस क्षेत्र के किसानों को करीब 647.4 करोड़ क्यूबिक फीट पानी मिलेगा।”
सौराष्ट्र क्षेत्र के 11 जिलों में फैले 115 बांधों में पाइपलाइन के जरिए पानी ले जाने और 900 गांवों को पानी उपलब्ध कराने के लिए परियोजना को चार ट्रंक लइनों में विभाजित किया गया है।
परियोजना के बारे में जानकारी देते हुए एक वरिष्ठ अधिकारी ने आईएएनएस से कहा कि सौराष्ट्र क्षेत्र में पाइपलाइन के जरिए नहरों के नेटवर्क को 115 बांधों से जोड़ा जाएगा और करीब 87 नदियों में भी पानी छोड़े जाएंगे।
अधिकारी ने कहा कि द्वितीय और तृतीय चरण के काम साल 2019 तक पूरे हो जाएंगे।
लवणता रोकथाम मंडल के अधीक्षण अभियंता ए.डी. कनानी ने आईएएनएस से कहा, “चारों लाइनों के प्रथम चरण चालू होने पर सौराष्ट्र क्षेत्र के करीब 163 गांवों को लाभ होगा।”
अधिकारी ने कहा कि द्वितीय चरण की लाइनों के लिए निविदा जारी कर दी गई है और साल 2017 के अंत तक इसके काम पूरे हो जाएंगे।