उज्जैन:मध्य प्रदेश के प्रशासनिक तंत्र में भ्रष्टाचार की गूंज गांव लेकर शहर तक सुनाई दे रही है। बीजेपी विधायक उज्जैन में प्रतिष्ठित सिंहस्थ आयोजन में जमीन घोटाले के लिए अफसरों को दोषी ठहरा रहे हैं तो रीवा में 136 करोड़ के जल जीवन मिशन में अदने कर्मचारियों को सजा दे कर बड़ों को बचा लिया गया है। सिंगरौली में काम न होने से परेशान ग्रामीण रिश्वत का पैसा वापस मांग रहे हैं।
ग्रामीणों ने बताया कि नायब तहसीलदार ने जमीन का काम करने के लिए 65 हजार रुपये की मांग की थी। ग्रामीणों ने 45 हजार रुपए नायब तहसीलदार के कमरे पर जाकर दिए और बाकी 20 हजार रुपए उनके ड्राइवर को दिए गए। कलेक्टर ने इस आवेदन पर क्या कार्रवाई की यह तो उजागर नहीं हुई लेकिन जनसुनवाई में खुल कर रिश्वत देना स्वीकार कर रहे ग्रामीणों की पीड़ा से समझा जा सकता है कि अफसर पैसा लेकर भी काम नहीं कर रहे हैं और इससे आम जनता कितनी परेशान है। जनता की इस पीड़ा से भोपाल अनजान है। हालांकि, भोपाल में भी भ्रष्टाचार के आरोप गूंज तो रहे हैं लेकिन ये अनसुने हैं।
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