अनिल सिंह(भोपाल)- केन्द्रीय विद्यालयों में संस्कृत को बढावा देने के आदेश को अब संकीर्णता और कट्टरपंथ से जोड़ा जा रहा है.
सीबीएसई ने स्कूलों से कहा है कि वो संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए स्कूलों में संस्कृत सप्ताह मनाएं, हालांकि कुछ दलों के नेताओं और शिक्षाविदों को ये सुझाव गले नहीं उतर रहा, वे इसे कट्टरपंथ से जोड़कर देखते हैं.स्कूल में संस्कृत श्लोक अंताक्षरी, लघुभाष्यम (छोटा भाषण) और ‘आदि शंकराचार्य’, ‘मुद्राराक्षस’ जैसी संस्कृत की लघु फ़िल्में दिखाना – ये सब सुझाव शामिल हैं सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ सेकेंड्री एजुकेशन (सीबीएसई) के स्कूलों को भेजे सर्क्युलर में.लेकिन संस्कृत की ओर अचानक सीबीएसई का ध्यान केंद्रित होने से तमिल पार्टियां नाराज़ हैं.सीबीएसई से मान्यता प्राप्त स्कूलों में संस्कृत एक वैकल्पिक विषय के तौर पर पढ़ाई जाती है.लेकिन संस्कृत के अलावा कई स्कूलों में अब फ्रेंच, जर्मन, रूसी, बांग्ला और तमिल जैसी विदेशी और स्थानीय भाषाएं भी पढ़ाई जाती हैं.संस्कृत सप्ताह के सुझाव से पहले भी भाषा के इस्तेमाल से जुड़े नई सरकार के आदेश बहस का विषय बनते रहे हैं.
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