हैदराबाद, 9 अप्रैल (आईएएनएस)। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की एक विशेष अदालत ने गुरुवार को सत्यम घोटाले में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए संस्थापक बी. रामालिंगा राजू, उनके दो भाइयों और सात अन्य को सात साल कैद की सजा सुना दी।
सीबीआई के एक अधिवक्ता के सुरेंद्र ने बताया कि अदालत ने सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज लिमिटेड के संस्थापक एवं पूर्व अध्यक्ष 60 वर्षीय रामालिंगा राजू और उनके भाई बी. रामा राजू पर पांच करोड़ रुपये (प्रत्येक) और शेष आठ अभियुक्तों पर 50 लाख रुपये तक का जुर्माना भी लगाया।
उन्होंने कहा कि सभी आरोपियों को दो से सात साल तक की सजा सुनाई गई थी, लेकिन सभी सजाएं एक साथ चलेंगी। इसी कारण से उन्हें अधिकतम सात साल की सजा काटनी होगी।
रामालिंगा राजू और उनके भाई बी. रामा राजू सहित सजा याफ्ता आठ लोगों में रामालिंगा के दूसरे भाई बी. सूर्य नारायण राजू, सत्यम के पूर्व मुख्य वित्तीय अधिकारी वदलामणि श्रीनिवास, प्राइसवाटरहाउसकूपर्स के पूर्व ऑडिटर सुब्रमणि गोपालकृष्णन और टी श्रीनिवास तथा पूर्व कर्मचारी जी. रामकृष्ण, डी. वेंकटपति राजू और श्रीशैलम एवं सत्यम के पूर्व आंतरिक मुख्य ऑडिटर वी.एस. प्रभाकर गुप्ता शामिल हैं।
सभी दोषी अपनी सजा यहीं चेरलापल्ली जेल में काटेंगे, जिसके लिए पुलिस व्यवस्था कर रही है।
सीबीआई अदालत के विशेष न्यायधीश बी.वी.एल.एन. चक्रवर्ती ने दोपहर को सजा सुनाई। इससे कुछ ही घंटे पहले उन्होंने न्यायाधीश ने उन्हें मामले में दोषी ठहराया था।
राजू समेत सभी आरोपियों की उपस्थिति में यह फैसला सुनाया गया, जिसमें संवादददाताओं को प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई।
न्यायाधीश ने दोषियों की याचिका स्वीकार नहीं की, जिसमें दोषियों ने अपनी उम्र, स्वास्थ्य और पारिवारिक समस्या का हवाला देते हुए सजा में नरमी बरतने का अनुरोध किया था।
दोषियों ने अदालत से कहा कि उन्होंने पहले ही दो साल से अधिक अवधि जेल में बिता ली है।
रामालिंगा राजू ने पूर्व में किए गए सामाजिक कार्यो के आधार पर भी सजा में नरमी बरते जाने का आग्रह किया।
बचाव पक्ष के वकील वेंकटेश्वर राव ने कहा, “उन्होंने अदालत से कहा कि इस मामले के कारण उनके परिवार को काफी मुश्किल का सामना करना पड़ा है। उन्होंने इस ओर भी ध्यान खींचने की कोशिश की कि इससे किसी की जान नहीं गई है।”
सीबीआई ने हालांकि कहा कि यह कंपनी जगत का सबसे बड़ा घोटाला था और इससे निवेशकों को भारी नुकसान हुआ है इसलिए दोषियों को अधिकतम सजा दी जाए।
सत्यम घोटला सात जनवरी, 2009 को प्रकाश में आया था, जब रामालिंगा राजू ने स्वीकार किया था कि कंपनी कई सालों से अपना मुनाफा कई करोड़ रुपये बढ़ा-चढ़ा कर दिखा रही थी।
कुछ शेयरधारकों की शिकायत पर दो दिन बाद पुलिस ने रामालिंगा को हिरासत में लिया था।
सीबीआई ने फरवरी, 2009 में इसकी जांच शुरू की थी। अपनी जांच में इसने बताया था कि इस घोटाले में शेयरधारकों को 14,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। सीबीआई ने रामालिंगा पर सत्यम से अपने परिवार की हिस्सेदारी बेचकर 2,5000 करोड़ रुपये का लाभ कमाने का भी आरोप लगाया था।
रामालिंगा पर कई झूठी कंपनियां बनाकर इनके नाम जमीन खरीदने का भी आरोप था। आंध्र प्रदेश पुलिस ने उन्हें नौ जनवरी, 2009 को गिरफ्तार किया था।
सीबीआई ने जांच के बाद रामालिंगा तथा अन्य आरोपियों के खिलाफ तीन आरोप पत्र दाखिल की थीं, जिसमें उन पर धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश, जालसाजी, खातों में हेराफेरी और विश्वासघात का आरोप लगाया गया था।
इस मामले में रामालिंगा राजू करीब 32 महीने जेल में रह चुके हैं।
वर्ष 2011 में जमानत पर रिहा होने के बाद राजू ने अपने खिलाफ लगे सभी आरोंपों को झूठा बताया था।
घोटाले के बाद एक सरकारी नीलामी में सत्यम कंप्यूटर्स को टेक महिंद्रा ने खरीद लिया था। महिंद्रा सत्यम बाद में टेक महिंद्रा में विलय हो गई थी।
आर्थिक अपराधों की एक अदालत ने गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यायलय (एसएफआईओ) द्वारा दाखिल किए गए सात में से छह मामलों में फैसला करते हुए पिछले साल आठ दिसंबर को रामालिंगा राजू और तीन अन्य लोगों को छह महीने कैद की सजा सुनाई थी।