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 ‘सोने के प्रति भावनात्मक दृष्टिकोण बदलने की जरूरत’ | dharmpath.com

Friday , 16 May 2025

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‘सोने के प्रति भावनात्मक दृष्टिकोण बदलने की जरूरत’

कोलकाता, 5 अप्रैल (आईएएनएस)। देश का दो-तिहाई सोना गांव के लोगों के पास है और विशेषज्ञों के मुतााबिक स्वर्ण आयात घटाने के लिए सोने के मुद्रीकरण या उसे कागजी बांड में बदलने की योजना तब तक सफल नहीं हो सकती, जब तक कि सोने को वस्तु रूप में रखने के प्रति लोगों का नजरिया नहीं बदलता।

कोलकाता, 5 अप्रैल (आईएएनएस)। देश का दो-तिहाई सोना गांव के लोगों के पास है और विशेषज्ञों के मुतााबिक स्वर्ण आयात घटाने के लिए सोने के मुद्रीकरण या उसे कागजी बांड में बदलने की योजना तब तक सफल नहीं हो सकती, जब तक कि सोने को वस्तु रूप में रखने के प्रति लोगों का नजरिया नहीं बदलता।

केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने हाल ही में दो योजनाओं का प्रस्ताव रखा है। एक के तहत सोने का मुद्रीकरण या बैंक में जमा सोने पर ब्याज देने का प्रस्ताव है, जबकि दूसरे के तहत रीडीमेबल स्वर्ण बांड और उस पर ब्याज का प्रावधान है।

फेडरल बैंक के खुदरा कारोबार प्रमुख के.ए. बाबू ने आईएएनएस से कहा, “बांड को शहरी निवेशकों के बीच जल्द ही स्वीकृति मिलेगी, लेकिन इसकी सफलता ग्राहकों यानी, ग्रामीणों पर भी निर्भर करेगी।”

बाबू ने कहा, “माना जा रहा है कि देश में जितना भी सोना है, उसका 65 फीसदी हिस्सा गांवों में है और उसमें से अधिकतर आभूषण के रूप में है। उन्हें सोने के प्रति भावनात्मक नजरिया छोड़ने तथा इसे निवेश के रूप में अपनाने की जरूरत है।”

इससे पहले सोने पर सरकार द्वारा लगाए गए नियंत्रण का प्रभाव पड़ा है। उदाहरणस्वरूप सोने की मांग वजन में 13.55 फीसदी घटकर 2013 के 974.8 टन से 842.7 टन रह गई है। जबकि मूल्य में यह 44.70 अरब डॉलर से 23 फीसदी घटकर 34.27 अरब डॉलर रह गई।

विश्व स्वर्ण परिषद (डब्ल्यूजीसी) के आंकड़ों के मुतााबिक, सोने की ईंटें और सिक्कों की मांग 50 फीसदी घट गई है और यह 362.1 टन से घटकर 180.6 टन रह गई है। इसी के साथ आभूषण की मांग आठ फीसदी बढ़ी है और 612.7 टन से बढ़कर 662.1 टन हो गई है।

उद्योग यह भी मानता है कि दोनों योजनाओं से आयात और कम होगा।

ऑल इंडिया जेम्स एंड ज्वैलरी ट्रेड फेडरेशन के पूर्व अध्यक्ष बछराज बमलवा ने कहा, “दोनों योजनाओं को लागू करने से सोने का आयात कम से कम 25 फीसदी घटेगा। सरकार को हालांकि इसमें आभूषण निर्माताओं को भी शामिल करना चाहिए।”

कोलकाता की कंपनी सेंको गोल्ड एंड डायमंड्स के कार्यकारी निदेशक सुवांकर सेन ने कहा, “दोनों नई योजनाओं से आयात कम होगा। लेकिन गांव में लोग अपना सोना अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहते हैं।”

सेन ने आईएएनएस से कहा, “सोने को आजीवन के लिए संपत्ति माना जाता है। मैं यह नहीं समझ पा रहा हूं कि वे इसे भावनात्मक रूप से कितना स्वीकार करेंगे।”

आभूषण निर्माता और बैंक हालांकि यह मानते हैं कि इन दोनों योजनाओं से अर्थव्यवस्था में अधिक निवेश योग्य पूंजी आएगी।

एडेलविस संपत्ति प्रबंधन कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विकास सचदेवा ने कहा, “दोनों योजनाओं के तहत धन का विनिमय चूंकि बैंकों के माध्यम से होगा, इसलिए यह भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के कार्यक्षेत्र के दायरे में रहेगा। फिर आरबीआई अपने मौद्रिक उपायों के जरिए महंगाई से निपटने की कोशिश करेगा।”

ऑल इंडिया जेम्स एंड ज्वैलरी ट्रेड फेडरेशन के मुताबिक, दोनों योजनाओं में आभूषण निर्माताओं को भी शामिल किया जाना चाहिए, क्योंकि उनका ग्राहकों से सीधा संपर्क होता है।

बमलवा ने कहा, “आभूषण निर्माताओं के लिए लोगों को निवेश के लिए स्वर्ण आभूषण के सोने का उचित मूल्य पेश करने के लिए मनाने में आसानी होगी।”

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