वाशिंगटन, 16 अप्रैल (आईएएनएस)। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अमेरिकी प्रशासन से अपील की है कि अमेरिकी राजकोष में भारतीय कामगारों के योगदान को वापस करने की प्रक्रिया शुरू की जाए और इसे अनुचित तरीके से रखा नहीं जाए।
जेटली ने सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज में ‘भारत का जनसांख्यिकीय बदलाव : अवसर और साझेदार’ शीर्षक वाले अपने भाषण में कहा, “यह एक सहायता कार्यक्रम की तरह है, जो भारतीय कामगार अमेरिकी सरकार के लिए चलाते हैं।”
मंत्री ने कहा, “पीटरसन इंस्टीट्यूट के जैकब किर्केगार्ड द्वारा किए गए अध्ययन के मुताबिक, भारतीय हर साल अमेरिकी सरकार के खजाने में सामाजिक सुरक्षा योगदान के रूप में करीब तीन अरब डॉलर योगदान करते हैं, जो उन्हें कभी वापस नहीं मिलेगा।”
जेटली ने कहा कि वह चाहते हैं कि अमेरिका इस (टोटलाइजेशन) व्यवस्था में बदलाव करे। उन्होंने कहा, “मुझे विश्वास है कि अमेरिका जल्द ही इस पर गौर करेगा।” उन्होंने मौजूदा व्यवस्था को अनुचित बताया।
भारतीय नियोक्ता जब किसी कर्मचारी को छोटी अवधि के लिए विदेश में तैनात करते हैं, तो वह कर्मचारी उस अवधि में भी भारतीय कानून के मुताबिक भारत में सामाजिक सुरक्षा योगदान करता रहता है। अमेरिका जैसे कुछ ऐसे भी देश हैं, जो उस दौरान अपने यहां भी अपने कानून के मुताबिक सामाजिक सुरक्षा योगदान लेते हैं।
वे कर्मचारी चूंकि यह योगदान एक निश्चित समय तक नहीं कर पाते हैं, इसलिए उन्हें यह वापस नहीं किया जाता है।
भारतीय सरकारों ने कई बार यह मुद्दा अमेरिका के सामने उठाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस साल जनवरी में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की भारत यात्रा के दौरान उनके सामने यह मुद्दा उठाया था।
मोदी ने ओबामा के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा था, “हम सामाजिक सुरक्षा समझौता पर बात शुरू करेंगे, जो अमेरिका में काम करने वाले हजारों कामगारों के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा है।”
भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) उद्योग लंबे समय से अमेरिका और भारत के बीच टोटलाइजेशन समझौते की मांग कर रहे हैं।
आईटी उद्योग संघ नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विसेज कंपनीज (नैसकॉम) ने मोदी से ओबामा के साथ इस समझौते पर बात करने की मांग की थी।
अमेरिका का अभी 25 देशों के साथ इस तरह का समझौता है।