घोषणापत्र में कहा गया है कि जी-20 के वित्तमंत्री और केंद्रीय बैंक के गवर्नर लंबे समय से कायम दरों की विसंगतियां दूर करेंगे, घटनाक्रमों पर नजर रखेंगे, नए जोखिमों का निदान ढूंढें़गे, ताकि वित्त बाजार में विश्वास और स्थिरता कायम रहे।
बैठक में तय किया गया कि मौद्रिक नीति के जरिए आर्थिक गतिविधियों को संबल दिया जाता रहेगा और कुछ विकसित देशों में मौद्रिक नीति में सख्ती लाने की अधिक संभावना है।
मुद्रा युद्ध के विषय में घोषणा पत्र में कहा गया है, “हम अधिकाधिक बाजार आधारित विनिमय दर रखने, इसमें लचीलापन रखने, विनिमय दर में विसंगति दूर करने के लिए प्रतिबद्धता जताते हैं। हम प्रतिस्पर्धात्मक अवमूल्यन और सभी प्रकार के संरक्षणवाद से दूर रहेंगे।”
मंत्रियों और गवर्नरों ने कहा कि अनिश्चितता दूर करने और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए सभी प्रकार के कदमों को भली-भांति सार्वजनिक किया जाएगा।
घोषणापत्र में कहा गया है, “हम विकास की अपनी रणीति समयबद्ध और प्रभावी तरीके से कार्यान्वित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिसमें मांग बढ़ाने और विकास दर बढ़ाने से संबंधित कदम भी शामिल हैं।”
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की प्रबंध निदेशक क्रिस्टीन लागार्दे ने कहा, “खास तौर से उभरती अर्थव्यवस्था के लिए गिरावट की संभावना बढ़ी है। इसलिए अप्रैल की पिछली बैठक के मुकाबले नीतिगत कदम और अधिक प्रासंगिक हो गए हैं।”