नई दिल्ली, 24 सितंबर (आईएएनएस)। बांग्लादेशी या म्यांमार के नागरिक होने के संदेह में असम के लोगों को अंधाधुंध जेल में डालने को लेकर चिंतित राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (एनसीएम) ने इस मामले में हस्तक्षेप के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय और राज्य सरकार को पत्र लिखा है।
नई दिल्ली, 24 सितंबर (आईएएनएस)। बांग्लादेशी या म्यांमार के नागरिक होने के संदेह में असम के लोगों को अंधाधुंध जेल में डालने को लेकर चिंतित राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (एनसीएम) ने इस मामले में हस्तक्षेप के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय और राज्य सरकार को पत्र लिखा है।
एनसीएम की सदस्य फरीदा अब्दुल्ला खान ने हाल में असम का दौरा किया और बांग्लादेशी या म्यांमारी नागरिक होने के संदेह में 97 महिलाओं और 13 बच्चों को शातिर अपराधियों के साथ कोकराझार की जेल में देखकर चकित रह गईं, जबकि ऐसा करना कानून की पूर्ण उपेक्षा है।
सामान्यत: इस तरह के लोग हिरासत केंद्र में रखे जाते हैं। लेकिन अधिकारियों के मुताबिक, कोकराझार में हिरासत केंद्र की सुविधा नहीं है, इसलिए महिलाओं और बच्चों को जेल में शातिर अपराधियों के साथ रखा गया है।
बांग्लादेशी या म्यांमार के नागरिक होने के संदेह में कुल मिलाकर असम में करीब 600 लोगों को हिरासत में लिया गया है। खान के अनुसार, इनमें अधिकांश मुस्लिम हैं।
खान ने आईएएनएस से कहा, “मेरे दौरे के दौरान सिविल सोसायटी समूहों ने विदेशियों के लिए न्यायाधिकरण की गतिविधियों और संदेहास्पद मतदाता होने के आधार पर अवैध प्रवासियों को चिन्हित करने की प्रक्रिया के मुद्दे बार-बार मेरे संज्ञान में लाए।”
केवल संदेह के आधार पर अंधाधुंध हिरासत में लेने से चिंतित खान का कहना है कि यह क्रमबद्ध घृणा अभियान का हिस्सा है। उन्होंने राज्य सरकार को पत्र लिखा है और केंद्रीय गृह मंत्रालय को एक औपचारिक रिपोर्ट भेजी है।
खान ने कहा कि असम, बंगाल और पूर्वोत्तर के आसपास अबादी के प्रवास और आवागमन का काफी पुराना और जटिल इतिहास है और वैध नागरिकों की पहचान करना न तो आसान है और न ही इसके लिए कोई स्पष्ट मानदंड है।
एनसीएम की सदस्य ने कहा, “जिस तरह से कवायद हो रही है उसे देख ऐसा प्रतीत होता है कि असम में पीढ़ियों से रहने और काम करने वाले एक बड़े धड़े को अवैध बनाया जा रहा है।”
मुख्य रूप से उन लोगों को निशाना बनाया गया है, जिनकी पहचान संदेहास्पद मतदाता के रूप में हुई है और एक बार जब वे विदेशी नागरिक के रूप में चिन्हित हो जाते हैं तो उन्हें खास तौर पर बनाए गए हिरासत केंद्र में भेजा जाता है।
दौरे के दौरान जब खान ने हिरासत केंद्र ले जाने को कहा तो उन्हें कहा गया कि कोकराझार में हिरासत केंद्र बन रहे हैं, इसलिए बंदियों को जिला जेल में रखा गया है।
खान ने कहा कि प्राय: एकतरफा आदेश के तहत ऐसा किया जाता है और पीड़ितों को अपने बचाव का मौका नहीं दिया जाता है।