कोलकाता, 17 सितंबर (आईएएनएस)। भारत का आधे से ज्यादा भौगोलिक क्षेत्र विदेशी पौधों की प्रजातियों के प्रति संवेदनशील है। पीएलओएस वन जर्नल में प्रकाशित एक शोध में इसकी जानकरी दी गई।
शिलांग स्थिति नॉर्थ हिल यूनिवर्सिटी (एनइएचयू) के वैज्ञानिकों ने ‘हॉटस्पॉट्स’ की पहचान करके ऐसे क्षेत्रों की पहली अखिल भारतीय सूचि जारी की है, जो विदेशी पौधों की प्रजातियों द्वारा आक्रमण के लिए बेहद संवेदनशील हैं।
हॉटस्पॉट्स ऐसे क्षेत्र हैं जहां की भौगोलिक और पर्यावरणीय परिस्थितयां विदेशी प्रजातियों के आक्रमण के लिए बेहद अनुकूल हैं।
भारत में विविध पौधों की कुल प्रजातियों का 40 फीसदी विदेशी प्रजातियों का है, जिनमें से 25 फीसदी आक्रामक हैं, जैसे कि सियाम वीड, बिटर वाइन, वॉटर हयासिंथ और मैसक्वोइट।
बरीक के मुताबिक, अंडमान निकोबार द्वीप, असम, दादरा एवं नगर हवेली, दमन और दीव, गोवा, केरल, मणिपुर मेघालय, नगालैंड, ओडिशा, पुदुच्चेरी, तमिलनाडु, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल विदेशी प्रजातियों के पौधों द्वारा आक्रमण के अतिसंवेदनशील क्षेत्रों में आते हैं।
मुंबई, रत्नागिरि, पणजी, चेन्नई, काकिनाडा, पारादीप और हल्दिया जैसे कुछ प्रमुख बंदरगाह शहर भी आक्रमण हॉटस्पॉट्स में शामिल हैं।
यह अध्ययन इस बात पर भी रोशनी डालता है कि ऊंचे वृक्षों और कम मानव आबादी वाले क्षेत्रों के आक्रमण हॉटस्पॉट्स होने की संभावना कम है।
अध्ययन के सह लेखक, सेंटर फॉर एडवांस्ड स्टडीज के बॉटनी विभाग के प्राध्यापक सरोज के. बारिक ने आईएएनएस को बताया, “विभिन्न प्रजातियों द्वारा आक्रमण के अनुकूल क्षेत्रों को अलग करके हम आक्रमणकारी पौधों द्वारा स्थानीय जैव प्रजातियों को नुकसान पहुंचाने के स्तर का आकलन कर सकते हैं और इसके नियंत्रण और प्रबंधन के लिए उचित नीतियां बना सकते हैं।”