बुडापेस्ट, 2 अक्टूबर (आईएएनएस)। पूरे हंगरी में रविवार की सुबह सरकार द्वारा प्रायोजित आव्रजक विरोधी जनमत संग्रह के लिए मतदान केंद्र खुले। इस जनमत संग्रह का मकसद शरण चाहने वालों को सदस्य देशों के बीच वितरित करने की यूरोपीय संघ (ईयू) की योजना की मुखालफत करना है।
चुनाव के लिए मतदान सुबह छह बजे शुरू हुआ जो शाम शात बजे तक चला। इसमें देश के कुल 83 लाख मतदाताओं से सवाल किया गया है, ‘क्या आप चाहते हैं कि ईयू को इसका अधिकार दिया जाए कि जो हंगरी के नागरिक नहीं हैं, उन्हें हंगरी में बाध्यकारी रूप से बसाया जाए और वह भी राष्ट्रीय असेंबली की स्वीकृति के बगैर?’
एफे न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान ने कहा कि इसमें ‘नहीं’ वाले मत की जीत होगी। उन्होंने कहा कि यह ईयू के शरणार्थियों को पुनर्वासित करने के कोटे पर जनमत संग्रह है, उसकी वैधता का नहीं।
ओरबन ने मत देने के बाद कहा कि यदि ‘हां’ से अधिक ‘नहीं’ का मत हुआ, तो यह जनमत संग्रह वैध है या नहीं, इस बारे में संसद एक कानून पारित करेगी।
ओरबन ने वादा किया कि जनमत संग्रह में यदि ‘नहीं’ मत वालों की ही जीत होगी तो वह एक राजनीतिक ढांचा तैयार करेंगे जिसमें हंगरी की संसद तय करेगी कि देश में रहने के लिए कौन आए और कौन नहीं।
हंगरी के कानून के मुताबिक किसी जनमत संग्रह के परिणाम को वैध होने के लिए जरूरी है कि मतदान का प्रतिशत 50 से अधिक हो।
कई सर्वेक्षण में पाया गया है कि मतदान का प्रतिशत वैधता के लिए न्यूनतम जरूरत से कम हो सकता है। मतदान नहीं करने वाले लोगों का प्रतिशत अधिक होने से परिणाम की वैधता को लेकर खतरा मंडरा रहा है।
हंगरी के वामपंथी विपक्ष एवं स्वयंसेवी संस्थाओं ने इस मध्य यूरोपीय देश के मतदाताओं से आग्रह किया है कि वे इस जनमत संग्रह में भाग नहीं लें या इसे अमान्य करार दें ताकि कोई वैध परिणाम नहीं निकले।
हंगरी के मानवाधिकार संगठनों ने इस जनमत संग्रह की आलोचना की है। उनका कहना है कि यह शरणार्थियों को गैर कानूनी घोषित करने का तरीका है।
पिछले साल हंगरी से होकर करीब चार लाख प्रवासी गुजरे थे। हंगरी पश्चिमी यूरोप, विशेषकर जर्मनी जाने का मार्ग है।
हंगरी में शरण के लिए 1.74 लाख लोगों ने आवेदन दिया है। इन आवेदनों को खारिज करने की दर 80 प्रतिशत से अधिक है।