अनिल सिंह — हमने टी&सी पी की कहानी में कहा था की फाइल क्रमांक 91/13 के संबंद्ध में सच्चाई आपके सामने लायेंगे —–
गोलबंद भ्रष्ट अधिकारी कर्मचारी, मजबूर मुखिया
शेर भी यदि ……….. के बीच फंस जाता है तो उसका बुरा हाल हो जाता है यही हाल आयुक्त का बना रखा है इस विभाग में जमे अधिकारीयों एवं कर्मचारियों ने,वर्षों से एक ही सीट पर जमे ये कर्मचारी ही उस भ्रष्ट व्यवस्था के सूत्र धार हैं।
इंदौर में जमे हैं कुछ बाबू
इंदौर में दरयानी तथा टिघरिया नामक बाबू जो करोड़ों का आसामी है वर्षों से जमा हुआ एक ही मालदार सीट पर है,यह सूत्र है कमाई का जरिया पैदा करने का इसीलिए इसे कोई नहीं हटा पाता है।
इस कार्यालय में प्राइवेट कर्मचारी भी कार्यरत हैं
यहाँ प्राइवेट कर्मचारी भी सरकारी कार्य करते देखे जा सकते हैं और यह सब इन बाबुओं तथा कर्मचारियों की शह पर धड़ल्ले से चल रहा है।
संजय मिश्रा है असली खिलाडी और कैसे अपने अधिकारी को भ्रमित किया
इंदौर स्थित ग्राम चितावद की सर्वे क्रमांक 193/4/1 रकबा 0.194 के मालिक ने मल्टी फ्लैटेड यूनिट के लिए आवेदन दिया .
आवेदन धारा 29(1) के तहत 19 अप्रैल 2013 को प्रस्तुत किया गया।इतना समय बीत जाने के बाद भी संजय मिश्रा ने कोई निर्णय नहीं लिया।
जबकि इस जमीन के बिलकुल सामने 194 /3 पर विकास योजना 2021 लागू होने के बाद 4 अगस्त 2009 को तात्कालिक अधिकारी श्री विजय सावलकर ने उक्त भूमि तथा 194/3 के बीच की भूमि के बीच की सड़क की चौड़ाई 12 मी . करते हुए 0.328 hec . भूमि पर मल्टी फ्लैटेड यूनिट की स्वीकृति प्रदान की।इस भूमि पर निर्माण हो चूका है तथा लोग निवासरत भी हैं।
इसी प्रकार विकास योजना 2021 के अध्याय तीन में सारणी 3 में क्रमांक 3.4 के बिंदु 13 में भी भूमि को आवासीय बताया गया है।
उपरोक्त तथ्य प्रस्तुत किये जाने के बाद भी संजय मिश्रा इस प्रकरण को निस्तारित करने को तैयार नहीं हुए और आवेदक को परेशान करते रहे।
जब यह शिकायत गुलशन बामरा तक पहुंची तब अपनी कार्यशैली के अनुसार तुरंत उन्होंने तफ्शीश की लेकिन संजय मिश्रा ने उन्हें यह कह कर भ्रमित किया की यह जगह ग्रीन बेल्ट में है।कुछ दिनों बाद पुनः पूछने पर कुछ और कारण बताये और कहा कि आवेदक को पत्र भेजा जा चुका है,जो की आज दिनांक तक नहीं लिखा गया,जब आवेदक पत्र लेने गया तो उसे वापस कर दिया तथा आयुक्त से कहा गया कि पत्र दे दिया गया है,इस तरह से उपरोक्त अधिकारी अपनी बेशर्मी से उच्च अधिकारीयों को बरगलाते हैं हाँ नियमों से हट कर कार्य करने में इन्हें कोई परहेज नहीं है।
लब्बोलुआब यह की इस बेशर्म अधिकारी ने उपरोक्त कार्य को नहीं किया तथा अपने अधिकारीयों को भी भ्रम में डाला।
संजय मिश्र अपने आप को मंत्री जयंत मल्लैया का खासमखास बताने में गुरेज नहीं करता हाँ जब जयंत मल्लैया से इस बाबत पुछा गया तो उन्होंने स्पष्ट मना कर दिया।इस मगरूर और चालाक अधिकारी का सम्बन्ध एक आला अफसर से है जिसकी धौंस बताने में भी यह गुरेज नहीं करता,अब हम इसकी कलई आपके सामने खोलेंगे की कहाँ इसने इन्वेस्ट किया है,कब और कहाँ की हवाई यात्राएं यह करता है,और शासन को कैसे चूना लगाया तथा बहुत कुछ इंतजार करें ……………….