वॉशिंगटन, 9 मार्च (आईएएनएस)। अमेरिका ने कहा है कि ईरान द्वारा हाल ही में किए गए प्रक्षेपास्त्र परीक्षणों में अंतर्राष्ट्रीय परमाणु करार का उल्लंघन नहीं हुआ है। अमेरिका ने साथ ही यह भी कहा कि वह इस मुद्दे से ‘एकतरफा और बहुपक्षीय, दोनों तरीकों से निपटेगा।’
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक, व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जोश अर्नेस्ट ने ईरान के साथ परमाणु करार लागू करने के तंत्र का हवाला देते हुए मंगलवार को कहा, “यह परमाणु करार का उल्लंघन नहीं है।”
पी5+1 समूह (अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, रूस और जर्मनी) ने ईरान के साथ 14 जुलाई, 2015 को परमाणु करार किया था। करार के तहत, ईरान को विवादास्पद परमाणु कार्यक्रम पर रोक लगाने के एवज में प्रतिबंधों में राहत दी गई है।
अर्नेस्ट ने कहा कि घटना (प्रक्षेपास्त्र परीक्षण) की समीक्षा के लिए जांच जारी है और इसके बाद तय किया जाएगा कि इसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उठाया जाए या नहीं।
इससे पूर्व मंगलवार को ईरान ने सैन्य अभ्यास में कई प्रक्षेपास्त्रों के परीक्षण किए थे। अभ्यास में इस्लामिक रिवोल्यूशन गार्डस कॉर्प्स (आईआरजीसी) के वरिष्ठ कमांडर्स भी शामिल हुए।
आईआरजीसी की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, मिसाइल अभ्यास का लक्ष्य “ईरान की रक्षा क्षमता, संप्रभुता और (इस्लामिक) क्रांति के प्रति किसी भी खतरे से निपटने की क्षमता का प्रदर्शन करना है।”
अर्नेस्ट ने जोर देकर कहा कि यदि यह साबित होता है कि ईरान के प्रक्षेपास्त्र परीक्षणों में सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का उल्लंघन किया गया है तो ईरान को इसके ‘कुछ नतीजे’ भुगतने पड़ सकते हैं।
इससे पहले मंगलवार को अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने भी अर्नेस्ट जैसी ही बात कही थी। उन्होंने कहा था कि ये परीक्षण परमाणु करार का उल्लंघन नहीं हैं। लेकिन, उन्होंने साथ ही चेतावनी दी कि अमेरिका इस मामले को ‘नजरअंदाज नहीं करेगा।’
किर्बी ने कहा, “हमने इस मुद्दे पर एकपक्षीय और बहुपक्षीय तरीकों का इस्तेमाल किया है और आगे भी करेंगे। अगर ये खबरें सही हैं तो हम इससे सही तरीके से निपटेंगे।”
सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के तहत ईरान परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम प्रक्षेपास्त्र का परीक्षण नहीं कर सकता है।