इन दिनों कहा जा रहा है कि अमेरिका के साथ ‘समझौते’ से ‘देश की सभी समस्याएं सुलझ जाएंगी।’ खामेनेई ने इस सोच को ‘खतरनाक’ करार दिया।
उन्होंने कहा, “यह बहुत खतरनाक मत है। ऐसे बहुत से तर्क हैं, जो सिद्ध करते हैं कि ऐसा विश्वास एक झूठ है, छलावा है और गलत है।”
खामेनेई का यह बयान ईरान के छात्रों के एक समूह द्वारा अमेरिकी दूतावास पर कब्जा करने की घटना की 37वीं वर्षगांठ के मौके पर आया है।
उन्होंने अमेरिका पर ‘अविश्वास’ के अपने बयानों का उल्लेख करते हुए कहा, “सिर्फ मैं अमेरिका को कुटिल नहीं बता रहा, बल्कि ईरान के अन्य अधिकारी और परमाणु वार्ताकार भी अमेरिका की निष्ठा पर सवाल उठा रहे हैं।”