नई दिल्ली, 24 अप्रैल (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को गुप्तचर ब्यूरो (आईबी), केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशकों और दिल्ली पुलिस आयुक्त को बुलाकर वकील उत्सव बैंस द्वारा पेश किए गए सबूतों की जांच करने को कहा। बैंस ने आरोप लगाया है कि प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई को यौन उत्पीड़न के झूठे मामले में फंसाने की साजिश रची गई है। उन्होंने अपने इस आरोप के समर्थन में कुछ सबूत पेश किए हैं।
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नरीमन और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ तीनों अधिकारियों से मुलाकात करेगी।
बैंस ने सोमवार को एक हलफनामा दाखिल किया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि मुख्य न्यायाधीश को एक झूठे मामले में फंसाया जा रहा है। उन्होंने मामले में एक एयरलाइन संस्थापक, गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम और एक कथित फिक्सर को इसके लिए जिम्मेदार बताया और दावा किया कि एक अजय नामक व्यक्ति ने प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ आरोप लगाने के लिए 1.5 करोड़ रुपये की पेशकश की गई थी।
इसके बाद न्यायालय ने बैंस से बुधवार को अदालत में अपने दावों के समर्थन में सामग्री पेश करने को कहा था। बैंस ने साजिशकर्ताओं से अपनी जान का खतरा बताया, जिसके बाद अदालत ने दिल्ली पुलिस को बैंस की सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
(वकील बैंस द्वारा सीलबंद लिफाफे में सौंपा गया) हलफनामा प्राप्त करने के बाद न्यायमूर्ति गुप्ता ने कहा, “हम हलफनामे में मौजूद किसी भी चीज का खुलासा नहीं कर रहे हैं। बहुत गंभीर मुद्दे उठाए गए हैं।”
न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, “यह किसी जांच से कही अधिक है और अभी हम कोई जांच नहीं कर रहे हैं।”
जब वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने इस मामले के उत्पीड़न के पहलू पर अदालत से कुछ कहना चाहा, तो न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, “हमें किसी और चीज के बदले हलफनामे की सामग्री को लेकर अधिक चिंतित होना चाहिए।”
इसके बाद जयसिंह ने तर्क दिया कि वह अदालत के सामने एक समानांतर जांच का जिक्र कर रही हैं और उन्हें इस मुद्दे से जुड़ी साजिश की जानकारी नहीं है। इसपर न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि अदालत की कार्यवाही में व्यवधान पैदा किया जा रहा है।
न्यायमूर्ति मिश्रा ने एक “बहुत परेशान करने वाली घटना” का जिक्र किया, जिसमें एक कॉर्पोरेट हस्ती की व्यक्तिगत पेशी पर अदालत के आदेश को बदलने के लिए दो कोर्ट मास्टर्स को बर्खास्त करना पड़ा था। उन्होंने कहा, “यह हो रहा है, लेकिन किसी भी प्रधान न्यायाधीश के पास इस तरह की कार्रवाई करने का साहस नहीं था। लेकिन अब बिना किसी डर के कार्रवाई की जा रही है।”
यह पता चलने पर कि मंगलवार के आदेश के अनुसार अधिवक्ता बैंस को सुरक्षा नहीं दी गई, अदालत ने निर्देश दिया कि बैंस को अगले आदेश तक सुरक्षा मुहैया कराई जाए।
जब बैंस ने अदालत को बताया कि वह एक महत्वपूर्ण जानकारी एक दूसरा हलफनामा दायर करना चाहते हैं, जिस पर वह काम कर रहे हैं, तो न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि वह इसे हलफनामे में अपने हाथ से लिखे या फिर खुद से टाईप करें, ताकि इसकी गोपनीयता भंग न होने पाए।