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 उन्नति का आकलन मूल्यों की ताकत से होगा : प्रणब | dharmpath.com

Tuesday , 13 May 2025

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उन्नति का आकलन मूल्यों की ताकत से होगा : प्रणब

नई दिल्ली, 14 अगस्त (आईएएनएस)। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शुक्रवार को कहा कि देश की उन्नति का आकलन मूल्यों की ताकत से होगा, साथ ही यह आर्थिक प्रगति तथा देश के संसाधनों के समतापूर्ण वितरण से भी होगी।

प्रणब ने कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था भविष्य के लिए बहुत आशा बंधाती है। ‘भारत गाथा’ के नए अध्याय अभी लिखे जाने हैं। उन्होंने कहा कि विकास का लाभ निर्धनतम व्यक्ति तक पहुंचना चाहिए।

देश के 69वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर देश के नाम संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा, “आर्थिक सुधार पर कार्य चल रहा है। पिछले दशक के दौरान हमारी उपलब्धि सराहनीय रही है और यह अत्यंत प्रसन्नता की बात है कि कुछ गिरावट के बाद हमने 2014-15 में 7.3 प्रतिशत विकास दर वापस प्राप्त कर ली है। इससे पहले कि इस विकास का लाभ सबसे धनी लोगों के बैंक खातों में पहुंचे, उसे निर्धनतम व्यक्ति तक पहुंचना चाहिए।”

मुखर्जी ने कहा, “हम एक समावेशी लोकतंत्र तथा एक समावेशी अर्थव्यवस्था हैं। धन-दौलत की इस व्यवस्था में सभी के लिए जगह है। परंतु सबसे पहले उन्हें मिलना चाहिए जो अभावों के कगार पर हैं। हमारी नीतियों को निकट भविष्य में ‘भूख से मुक्ति’ की चुनौती का सामना करने में सक्षम होना चाहिए।”

राष्ट्रपति ने कहा कि मनुष्य और प्रकृति के बीच पारस्परिक संबंधों को सुरक्षित रखना होगा। उदारमना प्रकृति अपवित्र किए जाने पर आपदा बरपाने वाली विध्वंसक शक्ति में बदल सकती है, जिसके परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर जानमाल की हानि होती है। उन्होंने कहा, “इस समय देश के बहुत से हिस्से बड़ी कठिनाई से बाढ़ की विभीषिका से उबर पा रहे हैं। हमें पीड़ितों के लिए तात्कालिक राहत के साथ ही पानी की कमी और अधिकता दोनों के प्रबंधन का दीर्घकालीन समाधान ढूंढ़ना होगा।”

राष्ट्रपति ने कहा कि जो देश अपने अतीत के आदर्शवाद को भुला देता है, वह अपने भविष्य से कुछ महत्वपूर्ण खो बैठता है।

उन्होंने कहा, “विभिन्न पीढ़ियों की आकांक्षाएं आपूर्ति से कहीं अधिक बढ़ने के कारण हमारे शिक्षण संस्थानों की संख्या में वृद्धि होती जा रही है। परंतु नीचे से ऊपर तक गुणवत्ता का क्या हाल है। हम गुरु शिष्य परंपरा को तर्कसंगत गर्व के साथ याद करते हैं तो फिर हमने इन संबंधों के मूल में निहित स्नेह, समर्पण तथा प्रतिबद्धता का परित्याग क्यों कर दिया।”

राष्ट्रपति ने कहा, “गुरु किसी कुम्हार के मुलायम तथा दक्ष हाथों के समान शिष्य के भविष्य का निर्माण करता है। विद्यार्थी, श्रद्धा तथा विनम्रता के साथ शिक्षक के ऋण स्वीकार करता है। समाज, शिक्षक के गुणों तथा उसकी विद्वता को सम्मान तथा मान्यता देता है। क्या आज हमारी शिक्षा प्रणाली में ऐसा हो रहा है। विद्यार्थियों, शिक्षकों और अधिकारियों को रुककर आत्मनिरीक्षण करना चाहिए।”

उन्नति का आकलन मूल्यों की ताकत से होगा : प्रणब Reviewed by on . नई दिल्ली, 14 अगस्त (आईएएनएस)। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शुक्रवार को कहा कि देश की उन्नति का आकलन मूल्यों की ताकत से होगा, साथ ही यह आर्थिक प्रगति तथा देश के नई दिल्ली, 14 अगस्त (आईएएनएस)। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शुक्रवार को कहा कि देश की उन्नति का आकलन मूल्यों की ताकत से होगा, साथ ही यह आर्थिक प्रगति तथा देश के Rating:
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