लखनऊ,13 नवंबर (आईएएनएस)। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उच्च न्यायालय की नई खंडपीठ की स्थापना की मांग को लेकर किया जा रहा आंदोलन दिवाली और अन्य उत्सवों के लिए रोक दिया गया था, लेकिन 19 नवंबर को व्यापक तौर पर फिर से आंदोलन शुरू किए जाने की तैयारी चल रही है।
पश्चिम उत्तर प्रदेश उच्च न्यायालय संघर्ष समिति के पदाधिकारी के अनुसार, इस आंदोलन के तहत पश्चिमी उत्तर प्रदेश की किसी भी कचहरी में वकील काम नहीं करेंगे और सभी वकील यह प्रयास भी करेंगे कि इस बंद में जनता और जनप्रतिनिधियों की भागीदारी बढ़े।
पिछले दिनों हुई संघर्ष समिति की बैठक में लिए गए निर्णयों पर अब अमल की कार्रवाई शुरू कर दी गई है। भाई दूज के बाद संघर्ष समिति के पदाधिकारी 19 नवंबर को बंद और शीतकालीन सत्र के दौरान संसद घेराव की तैयारी में जुट जाएंगे।
पदाधिकारियों का कहना है कि अब उनका आंदोलन उग्र रूप से चलेगा। त्योहारों के कारण आंदोलन को विराम दिया गया था। अब इस आंदोलन से नतीजे तक पहुंचाने का प्रयास होगा। इस दौरान सांसद, विधायक अन्य जनप्रतिनिधियों से मांग की जाएगी कि वे भी केन्द्र सरकार पर दबाव बनाएं।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश उच्च न्यायालय बेंच संघर्ष समिति ने आगरा के संघर्ष समिति के पदाधिकारियों से आगरा में हाईकोर्ट बेंच की मांग को छोड़ने का आग्रह किया है। मेरठ के पदाधिकारियों ने पहल कर आगरा के प्रतिनिधियों से वार्ता की और उनसे कहा किमेरठ ने जगह की मांग छोड़ दी है, तो आगरा भी छोड़े और मिलकर लड़ाई लड़े।
संघर्ष समिति के संयोजक संजय शर्मा ने कहा, “हाईकोर्ट बेंच आंदोलन को अब जनांदोलन का रूप दिया जाएगा। इसके लिए 19 नवंबर को प्रदेश में व्यापक तौर पर बंद के लिए आम लोगों, जनप्रतिनिधियों, विभिन्न संगठनों से भी अपील की जाएगी। 19 नवंबर को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसी भी जिले में वकील काम नहीं करेंगे।”