जलस्तर में लगातार हो रही बढ़ोतरी से चौबेछपरा व श्रीनगर आदि गांवों की कृषियोग्य भूमि नदी का निवाला बनती जा रही है। कमोवेश यही हालत एनएच-31 को बचाने के लिए पचरुखिया में बने सुरक्षात्मक स्परों की है। प्रशासनिक उपेक्षा के शिकार ये स्पर खुद की सुरक्षा भी करने में असहज दिखने लगे हैं।
गंगा नदी के जलस्तर में उतार-चढ़ाव का क्रम पिछले कई दिनों से जारी है। इसके चलते प्रभावित गांवों में हलचल मची है, लेकिन प्रशासन खामोश है।
बुधवार से ही उग्र रूप धारण कर चुकी मोक्षदायिनी की लहरों ने पहले तो वार्निग लेवल पार की, फिर गुरुवार को शाम 8 बजे गायघाट गेज पर लाल बिंदु 57.615 मीटर को पार कर 57.620 मीटर पर पहुंच गई। इसके चलते जहां पचरुखिया में स्पर संख्या 17 से 20 तक डंवाडोल है, वहीं चौबेछपरा में कटान का सिलसिला तेज हो गया है। लोग अपने सामान सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रहे हैं।
श्रीनगर में तो मकान भी गंगा का निवाला बन रही है, लेकिन प्रशासन की नजर अभी तक नहीं पहुंच सकी है।