लखनऊ, 3 जनवरी (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के गावों में स्वच्छता अभियान के नाम पर सफाईकर्मी तो तैनात हैं, लेकिन ये ज्यादातर ग्राम प्रधानों व अधिकारियों की बेगारी करते ही दिखाई देते हैं। लेकिन अब नए वर्ष में ऐसा नहीं होगा।
लखनऊ, 3 जनवरी (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के गावों में स्वच्छता अभियान के नाम पर सफाईकर्मी तो तैनात हैं, लेकिन ये ज्यादातर ग्राम प्रधानों व अधिकारियों की बेगारी करते ही दिखाई देते हैं। लेकिन अब नए वर्ष में ऐसा नहीं होगा।
पंचायती राज विभाग के अधिकारियों की मानें तो अब गांवों में भी ठेके पर सफाई कराई जाएगी, ताकि सफाईकर्मियों का शोषण ग्राम प्रधानों की तरफ से न होने पाए और गांवों में भी स्वच्छता मिशन का असर दिखाई दे।
स्थायी सफाईकर्मियों की नियुक्ति कर गांवों की गंदगी दूर करने का प्रयोग पंचायती राज विभाग की ओर से किया गया था। अधिकारियों की मानें तो यह प्रयोग असफल साबित हुआ है। इसीलिए अब गावों में भी ठेका प्रणाली लागू कर गंदगी दूर करने का प्रयास किया जाएगा।
इस बाबत पंचायत राज विभाग की ओर से सफाईकर्मियों की नियुक्ति रोकने के साथ ही नई कार्ययोजना बनाने का प्रस्ताव तैयार करने का निर्देश जारी कर दिया गया है।
पंचायती राज विभाग के एक अधिकारी ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर आईएएनएस को बताया, “पूर्ववर्ती बसपा सरकार के दौरान उप्र में 90 हजार सफाइकर्मियों की नियुक्ति की गई थी, जिनमें से अधिकांश ग्राम प्रधानों एवं अधिकारियों के यहां बेगारी करते हैं या उनके घर की सफाई में ही लगे रहते हैं।”
उन्होंने बताया कि अधिकारियों व ग्राम प्रधानों के बीच साठगांठ होने की वजह से ही उनके खिलाफ आई शिकायतों पर कार्रवाई भी नहीं हो पाती है। गांवों में सफाई व्यवस्था पूरी तरह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है। इसीलिए अब नई कार्य योजना का प्रस्ताव तैयार करने को कहा गया है।
पंचायती राज विभाग के अधिकारी ने बताया कि वर्ष 2019 तक स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत गांवों में सफाई और स्वास्थ्य की स्थिति बेहतर बनाने के लिए नगर पालिकाओं की तर्ज पर अब गांवों में भी ठेके पर सफाई कराई जाएगी।
उन्होंने बताया कि व्यक्तिगत शौचालयों के निर्माण में अनुदान के साथ ही सामुदायिक शौचालयों पर भी विशेष जोर दिया जाएगा। बड़े गांवों में कचरा डालने के लिए डम्पिंग यार्ड भी बनाया जाएगा।
सूत्रों की मानें तो परिसीमन के बाद बढ़ी 1700 ग्राम पंचायतों में अब ठेका प्रणाली के आधार पर ही सफाई कराई जाएगी। इसके लिए नियम बनाए जा रहे हैं। ऐसे गांव जहां सफाईकर्मी नौकरी छोड़ गए हैं या अन्य वजहों की वजह से काम नहीं कर रहे हैं, उन गावों में भी ठेका प्रणाली पर सफाईकर्मी तैनात किए जाएंगे।
पंचायती राज निदेशक उदयवीर सिंह के मुताबिक, ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता सरकार की प्राथमिकता में शामिल है। अभियान की नियमित समीक्षा करने के साथ ही नवनिर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों को भी विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा।
उन्होंने बताया कि ग्राम प्रधानों के लिए भी विशेष पुस्तिकाएं तैयार की जाएंगी और इसी माह उनके लिए प्रशिक्षण भी आयोजित किया जाएगा।