बांदा, 13 नवंबर (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के बांदा और चित्रकूट जिले में बालू का अवैध खनन बेरोक-टोक जारी है और जिम्मेदार अधिकारी और पुलिस मूकदर्शक बने हुए हैं। स्थिति यह है कि चित्रकूट जिले में करारी और बांदा के सिरसौना बागै नदी के किनारे दर्जनों ट्रैक्टर शाम ढलते ही बालू ढोने में जुट जाते हैं।
बांदा, 13 नवंबर (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के बांदा और चित्रकूट जिले में बालू का अवैध खनन बेरोक-टोक जारी है और जिम्मेदार अधिकारी और पुलिस मूकदर्शक बने हुए हैं। स्थिति यह है कि चित्रकूट जिले में करारी और बांदा के सिरसौना बागै नदी के किनारे दर्जनों ट्रैक्टर शाम ढलते ही बालू ढोने में जुट जाते हैं।
बुंदेलखंड के बांदा और चित्रकूट जिले में केन व बागै नदी से बालू के अवैध खनन करने का सिलसिला थम नहीं रहा है। बालू माफियाओं के मामले की एनजीटी में चल रही सुनवाई और इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा बांदा के जिलाधिकारी को व्यक्तिगत रूप से तलब करने का भी खौफ नहीं रहा।
चित्रकूट जिले के भरतकूप पुलिस चौकी क्षेत्र के करारी गांव में शाम ढलते ही एक दर्जन ट्रैक्टर-ट्रॉली सुबह तक अवैध रूप से बालू की ढुलाई करते हैं। इन माफियाओं की सुरक्षा में करीब दो दर्जन हथियारबंद लोग भी तैनात रहते हैं। अगर स्थानीय लोग बालू के अवैध खनन का विरोध करते हैं तो मफिया के प्रभाव में आकर पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने पर उतारू हो जाती है।
चंदौर गांव के किसान रामकुमार कोरी ने बताया कि उसने फोन के जरिए घटना की सूचना पुलिस अधीक्षक चित्रकूट को दी तो उन्होंने कहा कि ‘भरतकूप जाओ, वहां से फोर्स ले लो।’ इसके बाद जब जिलाधिकारी मोनिका रानी को फोन से सूचित किया गया तो उनका जवाब था कि ‘तुम शांत बैठो, मैं देख रही हूं।’
इस किसान का कहना है कि बालू माफिया पूरी रात खेत से ट्रैक्टर निकाल कर फसल नष्ट कर रहे हैं और प्रशासन कुछ नहीं कर रहा।
रामकुमार का मानना है कि ‘बालू का अवैध खनन प्रशासन की मिलीभगत से हो रहा है।
जब एक संवाददाता ने जिलाधिकारी मोनिका रानी से इस संबंध में रविवार को पूछा तो उनका कहना था, “बालू खनन की जांच कराई जा रही है, दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”
यही आलम बांदा जिले का है। बदौसा थाने के सिरसौना बागै नदी घाट और गाल्हा गांव में सत्तापक्ष से जुड़े कुछ लोग अवैध खनन के कार्य में लिप्त हैं।
एक ग्रामीण ने बताया कि ‘देवी मंदिर के पास रातभर जेसीबी मशीन से खनन किया जाता है। विद्यालय के पास एक माफिया ने करीब सौ ट्रक बालू जमा कर रखे हुए हैं।’ इस बारे में जब बांदा के अपर जिलाधिकारी गंगाराम गुप्ता से बात की गई तो उनका कहना था कि सूचना झूठी है, कहीं कोई खनन नहीं हो रहा है।
उल्लेखनीय है कि बालू और पत्थर के अवैध खनन के संबंध में एक सामाजिक कार्यकर्ता की जनहित याचिका एनजीटी में विचाराधीन है। उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने बांदा के जिलाधिकारी को व्यक्तिगत रूप से तलब कर हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया, फिर भी खनन माफिया बेखौफ हैं।