उन्होंने कहा कि अखिलेश कहते हैं कि पार्टी में अपराधी की एंट्री नहीं होगी तो उनके चाचा शिवपाल कहते हैं कि मुख्तार को जरूर लेंगे। चाचा-भतीजे की लड़ाई दिखावा, छलावा और नौटंकी है। ये पार्टी लोहिया के आदर्शो पर नहीं, अपराधियों और गुंडों की शह पर चल रही है। इसलिए पिछड़ा समाज को सचेत रहने की जरूरत है।
मौर्य ने सीधे तौर पर समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव और उनके परिवार व बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती पर जमकर शब्दबाण चलाए। उन्होंने कहा कि सपा की नजर में इटावा और मैनपुरी में ही यादव रहते हैं। इस सरकार ने पूरब और पश्चिम के यादवों को बांट दिया है।
उन्होंने प्रदेश में सपा, कांग्रेस समेत अन्य पार्टियों द्वारा बनाए जा रहे महागठबंधन पर भी तंज कसा। स्वामी ने कहा कि मुलायम ने ही बिहार में महागठबंधन का विरोध किया था, अब उनकी बात बेमानी है।
उन्होंने कहा कि मुलायम पिछड़ों का मसीहा बनने का ढोंग करते हैं तो मायावती उन्हें ठगती हैं। मायावती अराजनैतिक महिला हैं। उनमें रुपये कमाने की हवस है। उनकी यह भूख हजारों करोड़ रुपये कमाने के बाद भी कम नहीं हुई। उन्होंने तो पार्टी को तिजोरी वालों के हाथ बेच दिया है।
स्वामी ने कहा, “मायावती से मेरी लड़ाई वैचारिक है। 30 सालों तक बसपा के लिए खून पसीना बहाने वाले कार्यकर्ताओं को दूध में पड़ी मक्खी की तरह फेंक दिया जाता है। इसलिए मैंने बसपा से किनारा कर लिया।”
सर्जिकल स्ट्राइक पर सेना को बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि ये सेना तब भी बहादुर थी और आज भी है। लेकिन तब जिन्हें आदेश देना था वे गूंगे, बहरे और अंधे थे। अब सेना का नायक बदल गया है। आज सेना के कंधों पर मजबूत प्रधानमंत्री का हाथ है। प्रदेश का पिछड़ा समाज कभी मुलायम के जादू तो कभी माया के मकड़जाल में फंसकर रह जाता है। लेकिन उसका सम्मान सिर्फ भाजपा में है।
स्वामी प्रसाद ने कहा कि प्रदेश की 56 फीसदी आबादी में प्रतिनिधित्व करने वाले पिछड़ा समाज को माया और मुलायम के बहकावे में नहीं आना चाहिए। सपा सरकार की खटिया खड़ी और बिस्तरा गोल है। भाजपा प्रदेश में 300 से अधिक सीटें जीतकर सरकार बनाएगी।