नई दिल्ली, 29 सितम्बर (आईएएनएस)। नोएडा के जेपी हॉस्पिटल में हाल ही में एक महीने के इराकी बच्चे इब्राहिम की हाई रिस्क हार्ट सर्जरी की गई। इब्राहिम सायनोटिक कॉन्जेनाईटल हार्ट डिजीज से पीड़ित था, यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें दिल में कई तरह के दोष होने के कारण खून में ऑक्सीजन का स्तर कम हो जाता है।
इस मामले की बात करें तो इब्राहिम सबसे कम उम्र का मरीज है जिसमें बाई-डायरेक्शनल ग्लैन प्रोसीजर किया गया है, इस तरह की सर्जरी से दिल की गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीज का दिल भी ठीक से काम करने लगता है।
अगस्त में पैदा हुए इब्राहिम को जन्म से ही सायनोसिस था, इसमें म्यूकस मेम्ब्रेन और त्वचा का रंग नीला पड़ जाता है। इब्राहिम ठीक से दूध नहीं पी पा रहा था और उसे सांस लेने में परेशानी हो रही थी। वह बेहद सुस्त सा था। इराक से भारत आने के दौरान भी उसे ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया।
इस मामले पर बात करते हुए नोएडा के जेपी हॉस्पिटल में पीडिएट्रिक कार्डियोलोजी डिपार्टमेन्ट के डायरेक्टर डॉ. राजेश शर्मा ने कहा, “बेबी इब्राहिम दिल की गंभीर बीमारी से पीड़ित था, जांच करने पर पता चला कि उसे सायनोटिक कॉन्जेनाइटल हार्ट डिजीज और ट्राईकस्पिड एट्रेसिया है। यह दिल की जन्मजात बीमारी है जिसमें दिल का ट्राईकस्पिड वॉल्व ठीक से काम नहीं करता जिसके कारण दाएं एट्रियम से दाएं वेंट्रीकल तक खून का प्रवाह नहीं हो पाता। इस मामले में दायां वेंट्रिकल बहुत छोटा और संकरा था जिसकी वजह से दाएं वेट्रिकल (दिल के दाएं हिस्से) से शरीर को खून पंप नहीं हो पा रहा था। इराक का कोई भी अस्पताल इतनी नाजुकउम्र में बच्चे का इलाज करने के लिए तैयार नहीं हुआ। सभी मुश्किलों के बावजूद हमने बच्चे की सफल सर्जरी की है।”
उन्होंने बताया कि 1 सितंबर 2018 को मरीज का बाई डायरेक्शनल ग्लेन प्रोसीजर किया गया, ताकि फेफड़ों तक खून का प्रवाह ठीक से हो सके। ब्लड सकुर्लेशन को री-रूट किया गया ताकि दिल से खून ठीक तरह से बहने लगे और वेंट्रिकल पर बोझ कम हो जाए। उसे 25 सितंबर 2018 को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। अब वह ठीक है और अपने देश लौट सकता है।
इब्राहिम के पिता ओमार ने कहा, “मेरा बच्चा सिर्फ एक महीने का है लेकिन उसने एक बड़ी जंग जीत ली है। हम उसे इराक के सभी अच्छे अस्पतालों में ले गए, लेकिन उसकी उम्र को देखते हुए कोई भी डॉक्टर उसके इलाज के लिए तैयार नहीं हुआ। हम पूरी तरह से निराश हो गए थे, हमें डर था कि कहीं हम इब्राहिम को खो न दें। हमारे एक मित्र ने ईमेल पर जेपी हॉस्पिटल के डॉ. राजेश शर्मा के बारे में बताया। डॉ. शर्मा ने तुरंत इस मामले को हाथ में लेकर इलाज शुरू कर दिया। हम जेपी हॉस्पिटल और डॉक्टरों की टीम के प्रति आभारी हैं, जिन्होंने मेरे बच्चे को नया जीवन दिया है।”