नई दिल्ली, 15 अक्टूबर (आईएएनएस)। देश की शीर्ष उपभोक्ता अदालत ने गुरुवार को मैगी के नौ अलग-अलग बैच से लिए गए 13 नमूनों की जांच के आदेश दिए, ताकि उनमें सीसा और ‘एमएसजी स्टॉक ग्लूटामेट’ के स्तर का पता लगाया जा सके।
यह आदेश राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटारा आयोग (एनसीडीआरसी) की एक पीठ ने दिया।
एनसीडीआरसी ने कहा कि अदालत के सामने नमूनों के सत्यापन और उनकी सील को ठीक से देखने के बाद उन्हें कर्नाटक के मैसूर स्थित सेंट्रल फूड टेक्न ोलॉजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएफटीआरआई) में भेजा जाए।
पीठ ने कहा, “कुल 25 में से 13 नमूनों को मैसूर के सीएफटीआरआई में यह पता लगाने के लिए भेजा जाए कि इन नमूनों में सीसा और ‘मोनोसोडियम ग्लूटामेट (एमएसजी) स्टॉक ग्लूटामेट’ की कितनी मात्रा है।”
पीठ ने कहा कि जांच के दायरे में मैगी पैकेट में मौजूद नूडल और टेस्ट-मेकर दोनों शामिल हैं।
उपभोक्ता अदालत ने गुरुवार को जब मैगी के नमूनों को देखा, तो पाया कि चार पैकेट फटे हुए थे। उसी बैच के अन्य पैकेट भी जांच के लिए भेजने योग्य नहीं पाए गए।
पीठ ने पहले नौ बैचों में से नौ नमूने जांच के लिए भेजने का आदेश दिया था, लेकिन जांच के लिए इतने नमूने काफी नहीं होने के कारण बाद में नमूनों की संख्या बढ़ा दी गई।
नेस्ले इंडिया मैगी नूडल्स की नौ किस्में बनाती थीं, लेकिन सिर्फ दो किस्मों -मसाला एवं वेज आटा नूडल्स- को ही जांच के लिए मैसूर भेजा जाएगा।
न्यायमूर्ति वीके जैन और न्यायमूर्ति बीसी गुप्ता की पीठ नेस्ले इंडिया के खिलाफ क्लास एक्शन सूट की सुनवाई कर रही थी, जो कंपनी के नूडल ब्रांड मैगी में सीसे की सीमा से अधिक मात्रा को लेकर है।
सरकार के वकील ने एनसीडीआरसी से अनुरोध किया था कि उन्हें भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) से और नमूने लेने की अनुमति दी जाए, लेकिन उनकी मांग को स्वीकार नहीं किया गया।
आयोग ने कहा कि वह नमूनों की ताजा जांच के बारे में आवेदन पर 23 नवंबर को अगली सुनवाई करेगा।
उल्लेखनीय है कि पांच जून को एफएसएसएआई ने नेस्ले इंडिया को मैगी की सभी नौ किस्मों को बाजार से हटाने, उनका उत्पादन रोकने और निर्यात बंद करने का आदेश दिया था और कहा था कि नमूने मानवों के खाने के लिहाज से असुरक्षित और खतरनाक हैं।