नई दिल्ली, 8 मई (आईएएनएस)। अंतर्राष्ट्रीय कच्चे तेल मूल्य में गिरावट से तेल कंपनियों के मार्जिन पर पड़ने वाले असर को देखते हुए सरकार को सार्वजनिक क्षेत्र की तेल उत्खनन कंपनियों, तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) और ऑयल इंडिया (ओआईएल) के ऊपर सब्सिडी के बोझ कम किए जाने चाहिए। यह बात शुक्रवार को वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिच ने कही।
फिच ने कहा, “तेल मूल्य के कम होने के आलोक में हम उम्मीद करते हैं कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की अपस्ट्रीम कंपनियों के इस वित्तीय बोझ को कम करने के लिए हस्तक्षेप करेगी। इससे उनकी संचालन आय पर दबाव घटेगा।”
फिच ने ‘उभरती अर्थव्यवस्थाओं की कंपनियों पर तेल की कम कीमत का असर’ शीर्षक रपट में कहा, “अभी तक इस मुद्दे के निदान के लिए न तो कोई कदम उठाया गया है और न ही कोई प्रस्ताव है।”
तेल मूल्य को नियंत्रण मुक्त करने और वैश्विक कीमत घटने से हालांकि तेल विपणन कंपनियों- इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम- को फायदा मिला है।
रपट में यह भी कहा गया है कि यदि अब तेल मूल्य बढ़ता है तो उपभोक्ताओं पर दबाव बढ़ेगा।
रपट में कहा गया है, “वैश्विक तेल मूल्य में भारी गिरावट के बाद भी पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमत देश में अगस्त 2014 की स्थिति से सिर्फ लगभग 20 फीसदी ही घटी है। इसका कारण ऊंचा उत्पाद शुल्क और डॉलर-रुपया विनिमय दर है।”
कच्चे तेल के भारतीय बास्केट का मूल्य गुरुवार को प्रति बैरल 65.81 डॉलर था। इस दौरान डॉलर के मुकाबले रुपये की विनिमय दर 63.88 रुपये प्रति डॉलर रही।