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 कचरा रहित स्मार्ट सिटी के लिए बायो माइनिंग की जरूरत | dharmpath.com

Thursday , 15 May 2025

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कचरा रहित स्मार्ट सिटी के लिए बायो माइनिंग की जरूरत

नई दिल्ली, 21 जनवरी (आईएएनएस)। कचरा प्रबंधन से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि भारत ठोस कचरा प्रबंधन में काफी कठिनाइयों का सामना कर रहा है। देश में लैंडफिल की संख्या बढ़ती जा रही है। बहुत से लैंडफिल में जरूरत से ज्यादा कूड़ा भरा जाता है जिससे हादसे की आशंका भी बनी रहती है। उनका कहना है कि ऐसे में कचरे का बायो माइनिंग एक बेहतर उपाय हो सकता है।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में स्थित गाजीपुर लैंडफिल 50 मीटर ऊंचा है और 70 एकड़ में फैला है। यहां करीब तीन हजार टन कूड़ा प्रतिदिन डाला जाता है। यहां पिछले साल कचरों का एक टीला ढह कर सड़क तक आ गया और दुर्घटना में दो लोगों की मौत हो गई। इसे 2002 में ही बंद कर दिया जाना चाहिए था लेकिन लैंडफिल की कमी की वजह से दिल्ली का एक चौथाई कूड़ा यहां प्रतिदिन पहुंचता रहा।

ठोस कचरा प्रबंधन कंपनी रिकार्ट के संस्थापक व निदेशक अनुराग तिवारी ने कहा, “हालांकि सभी स्तरों पर कचरा प्रबंदन के मुद्दों से निपटने की आवश्यकता है, लेकिन हमें सबसे पहले इन लैंडफिल में पहले से इकट्ठा हुए कचरे पर ध्यान देने की जरूरत है। इसलिए हम बायो माइनिंग का सुझाव देते हैं। ये सूक्ष्म जीवों के प्रयोग से ठोस पदार्थ और कच्ची धातु से धातु निकालने की तकनीक है।”

उन्होंने कहा, “इसमें मीथेन, हाइड्रोजन सल्फाइड, अमोनिया और लीशैट में जीरो उत्सर्जन होता है, जो इसे पर्यावरण के अनुकूल बनाते हैं। केवल यही नहीं, बायो माइनिंग काफी सस्ता और प्रभावी समाधान है। कन्नूर कस्बे की पंचायत में एक ऐसा अभियान चलाया गया है, जहां हम बायोग्रेडेबल वेस्ट को अलग कर उसे जैविक खाद में तब्दील करने में सक्षम हुए। हम गोराई गांव से भी संकेत ले सकते हैं, जहां एक हेक्टेयर में फैले 10 मीटर कूड़े के पहाड़ को केवल 3 महीने में बायो माइनिंग से क्लियर किया गया। केवल 10 लाख रुपये के बजट में यह उपलब्धि हासिल की गई।”

उन्होंने कहा कि देश में कूड़ा फेंकने की जगहों की कमी होती जा रही है, लेकिन हमारे यहां काफी तेजी से कूड़ा पैदा होता है। अगर हम यह कहें कि भारत को बेंगलुरु के आकार का लैंडफिल चाहिए तो कोई हैरत नहीं होगी। इस भयानक स्थिति को बहुत जल्दी संभालने की जरूरत है।”

उन्होंने कहा कि लैंडफिल या कूड़े के ढेर में मीथेन का उत्सर्जन होता है, जिससे काफी तेजी से ऊष्मा निकलती है। इससे ग्लोबल वार्मिग काफी तेजी से बढ़ती है। सालों से इकट्ठा हुए कूड़े ने भूमिगत जल को भी दूषित कर दिया है, जो बहुत से शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में जल का प्रमुख स्त्रोत है।

अनुराग ने कहा, “शहरी निकाय की ओर से एकत्र किया गया कूड़ा लैंडफिल में डंप किए जाने से पहले मटीरियल रिकवर संयंत्र से गुजरना चाहिए, लेकिन हमारे पास कई जगहों पर एमआरएफ (मटेरियल रिकवरी फेसिलिटी) संयंत्र नहीं है। इसलिए इसे छोड़ ही देना चाहिए। सारे कूड़े को सीधे लैंडफिल में ही डंप किया जाना चाहिए। एनसीआर में मजबूत एमआरएफ होना बहुत जरूरी है, इसलिए हमने इससे शुरुआत की है।”

उन्होंने कहा, “पुराने कूड़े को वेस्ट ट्रकों के माध्यम से निपटाना चाहिए और भारी आइटम को आम तौर पर हाथ से उठाना चाहिए। एक बार यह कर लेने के बाद टैंकर से खाद बायो कंपोस्ट कूड़े पर बिखेरनी चाहिए। इसे विंड रो में सुव्यवस्थित कर निश्चित समय के अंतराल पर करना चाहिए। इस प्रक्रिया की समाप्ति तक पुराना कूड़ा 30 से 40 फीसदी तक कम हो जाएगा। यह प्रक्रिया काफी किफायती है।”

अनुराग ने कहा, “महंगी या आधुनिक टेक्नोलॉजी हर सवाल का जवाब नहीं हो सकती। यहां स्मार्ट ढंग से काम करने की जरूरत है और देश भर में बायो माइनिंग प्रोग्राम को अमल में लाने के लिए धन का निवेश करना चाहिए। यह तरीका पहले भी सफल साबित हो चुका है। इससे हमें वेस्ट फ्री स्मार्ट शहरों के निर्माण में सहयोग मिल सकता हैं।”

उन्होंने कहा, “बहादुरगढ़ में स्थानीय नगर निकाय ने मौजूदा डंपिंग साइट से कूड़े में कटौती करने के मसकद से हमसे संपर्क किया था। हम उस शहर में एमआरएफ फैसिलिटी विकसित करने पर ध्यान दे रहे हैं। हम इसी तरह के समाधान के लिए 10 से ज्यादा शहरी स्थानीय निकाय से बातचीत कर रहे हैं। मैं बहुत खुश हूं कि स्थानीय निकाय जरूरत से ज्यादा भरे हुए लैंडफिल्स की गंभीर चिंता का समाधान करने की महत्ता को समझने लगे हैं।”

कचरा रहित स्मार्ट सिटी के लिए बायो माइनिंग की जरूरत Reviewed by on . नई दिल्ली, 21 जनवरी (आईएएनएस)। कचरा प्रबंधन से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि भारत ठोस कचरा प्रबंधन में काफी कठिनाइयों का सामना कर रहा है। देश में लैंडफिल की सं नई दिल्ली, 21 जनवरी (आईएएनएस)। कचरा प्रबंधन से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि भारत ठोस कचरा प्रबंधन में काफी कठिनाइयों का सामना कर रहा है। देश में लैंडफिल की सं Rating:
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