वाशिंगटन-| भारत में अपनी विवादित फिल्म ‘अनफ्रीडम’ की रिलीज पर लगी रोक हटवाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे फिल्म निर्देशक राज अमित कुमार कहते हैं कि एक कलाकार की सबसे अहम सामाजिक जिम्मेदारी बेधड़क एवं निडर होकर अपनी बात कहना है।
‘अनफ्रीडम’ दो समानांतर कहानियों के माध्यम से धार्मिक कट्टरवाद और असहिष्णुता के विवादित चित्रण की वजह से भारत में प्रतिबंधित है। अमित कुमार इसकी रिलीज पर लगी रोक को हटवाने के लिए अदालत में मुकदमा लड़ रहे हैं।
उन्होंने ने आईएएनएस को दिए एक साक्षात्कार के दौरान सवाल किया, “क्या फिल्मकार संदेश देने के लिए फिल्में बनाते हैं?”
फिल्म में दो समानांतर कहानियां चलती हैं। एक कहानी मुस्लिम आतंकवाद पर केंद्रित है, जो एक उदार मुस्लिम विद्वान का मुंह बंद कराने के लिए उसका अपहरण करता है। वहीं, दूसरी कहानी एक ऐसी युवा हिंदू महिला के दुखों को बयां करती है, जो लुकछुप तरीके से एक अन्य महिला से प्यार करने की वजह से अरेंज मैरिज का विरोध करती है।
अमित कुमार ने कहा, “भारतीय सेंसर बोर्ड ने कहा कि मेरी फिल्म में कोई संदेश नहीं है और इसलिए इसे प्रमाणपत्र नहीं दिया जाना चाहिए। मुझे अगर संदेश देने होंगे तो मैं मोबाइल, ईमेल, पत्रों या फेसबुक का प्रयोग करूंगा।”
उन्होंने कहा, “मेरी इस बारे में जहां तक समझ है, हम एक अनुभव रचते हैं और दर्शक इसमें अर्थ ढूंढने में समर्थ होते हैं। हां, हमने इस उम्मीद के साथ एक फिल्म बनाई कि उस अनुभव के जरिए कुछ मुख्य विचार और ख्याल व्यक्त होंगे।”
अमित कुमार ने दावा किया, “दो समानांतर कहानियों में अनुभव कहीं गुम नहीं हुआ, बल्कि इससे अनुभव पैदा हुआ क्योंकि वे दो समानांतर कहानियां एक साथ हैं।”
उन्होंने कहा, “मैं उम्मीद करता हूं कि जिस तरह आप सवाल कर रहे हैं, दर्शक भी सवाल करेंगे कि ये दोनों कहानियां मिली-जुली क्यों हैं और वे इनमें क्या रिश्ता समझें।”
‘अनफ्रीडम’ अमेरिका में 29 मई को रिलीज होनी है। अमित इसे भारत में वैकल्पिक तरीकों के जरिए रिलीज करने के लिए पैसा जुटाने के लिए एक जन-वित्तपोषित अभियान लांच कर रहे हैं।
यह पूछे जाने पर कि सेंसर बोर्ड द्वारा लगाए गए कट से सहमत क्यों नहीं हैं? उन्होंने कहा, “मैं कट से सहमत नहीं हूं और मेरी राय में किसी फिल्मकार को इससे सहमत नहीं होना चाहिए। फिल्म सेंसर बोर्ड नहीं, मैं बना रहा हूं।”