श्रीनगर/नई दिल्ली, 29 अगस्त (आईएएनएस)। हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादी बुरहान वानी की सुरक्षा बलों के हाथों हुई मौत के बाद कश्मीर घाटी में भड़के हिंसक विरोध प्रदर्शनों के कारण लगा कर्फ्यू 51 दिनों के बाद सोमवार को अधिकांश हिस्सों से हटा लिया गया और घाटी में इस बीच शांति बनी रही।
इसके अलावा कश्मीर घाटी में हालिया हिंसक विरोध प्रदर्शनों के सिलसिले को खत्म करने के उद्देश्य से समाज के विभिन्न वर्गो से बातचीत करने के लिए केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व में चार सितंबर को एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल कश्मीर दौरे पर आएगा।
इधर जम्मू में सोमवार को राज्य की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि हिंसा से कोई लाभ नहीं मिलने वाला और कश्मीर समस्या के समाधान के लिए शांतिपूर्वक बातचीत ही एकमात्र उपाय है।
उल्लेखनीय है कि आठ जुलाई को बुरहान वानी की हुई मौत के बाद से कश्मीर घाटी में फैली अशांति में 70 लोगों की मौत हो चुकी है।
कर्फ्यू खत्म होने के बाद सोमवार को श्रीनगर के ऊपरी इलाकों में निजी वाहन और तिपहिया वाहन चलने लगे और कुछ भीतरी इलाकों में बाजार भी खुले।
हालांकि श्रीनगर का मुख्य बाजार और घाटी के अन्य इलाकों में भी सार्वजनिक परिवहन बंद ही रहा।
पुलिस ने बताया कि अलग-अलग जगहों पर युवकों द्वारा सुरक्षा बलों पर किए गए पथराव में 11 लोग घायल हुए हैं, लेकिन किसी के गंभीर होने की खबर नहीं है।
श्रीनगर के बाटमालू इलाके में कर्फ्यू हटाए जाने के तुरंत बाद युवक सड़कों पर उतर आए और विरोध-प्रदर्शन करने लगे, जिसके चलते इलाके में दोबारा कर्फ्यू लगा दिया गया।
श्रीनगर के ही राजबाग इलाके में निर्दलीय सांसद इंजिनीयर राशिद को उनके समर्थकों के साथ एक पुलिस थाने की ओर जाते हुए गिरफ्तार कर लिया गया।
राशिद ने घोषणा कर रखी थी कि वह दक्षिण कश्मीर में युवकों से जबरन काम लिए जाने के खिलाफ स्थानीय पुलिस थाने में शिकायत दर्ज करवाएंगे।
जब उनसे पूछा गया कि सेना ने किन-किन जगहों पर युवकों से कथित तौर पर जबरन काम करवाए तो राशिद ने आईएएनएस से कहा, “मैं राज्य की मुख्यमंत्री के हाल ही में दिए बयान के आधार पर शिकायत दर्ज करवाने जा रहे थे।”
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री महबूबा ने हाल ही में कहा था कि उन्होंने ही दक्षिण कश्मीर में सेना द्वारा जबरन बेगार करवाए जाने से कश्मीरी युवकों को बचाया था।
राशिद ने कहा, “पुलिस में शिकायत दर्ज करवाने का मेरा मकसद सेना के उन जवानों की पहचान करना है, जिन्होंने मुख्यमंत्री के कथनानुसार युवकों से जबरन बेगार करवाया।”
उल्लेखनीय है कि कश्मीर में आखिरी बार 2010 के दौरान भड़की अशांति के दौरान एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल कश्मीर आया था। तब सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने अलगाववादी नेता सैयद अली गिलानी से भी मुलाकात की थी।
लेकिन इस बार राज्य और केंद्र सरकार की ओर से जताए गए सख्त रवैये को देखते हुए राजनाथ सिंह के नेतृत्व में आ रहे सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के किसी अलगाववादी नेता से मुलाकात करने की संभावनाएं नहीं के बराबर हैं।
कश्मीर में इस समय सभी अलगाववादी नेताओं को नजरबंद कर दिया गया है। सैयद अली गिलानी जहां अपने घर में ही नजरबंद हैं, वहीं मीरवाइज उम फारूक को तीन दिन पहले श्रीनगर के चश्मा शाही इलाके में स्थित एक पर्यटक अतिथि गृह में नजरबंद किया गया है।
घाटी में अलगाववादी कर्फ्यू हटने के बावजूद अपना विरोधस्वरूप बंद जारी रखे हुए हैं।
राज्य के गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी कर चश्मा शाही के इस पर्यटक अतिथि गृह को उप-कारागार घोषित कर दिया है, जहां मीरवाइज को नजरबंद रखा गया है।