नई दिल्ली, 4 नवंबर (आईएएनएस)। आवास एवं शहरी मामलों के केंद्रीय राज्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि भारत सतत विकास के लक्ष्यों को हासिल कर ही स्थायित्व को हासिल कर सकता है। उन्होंने कहा कि शहरों की स्थिति दिन पर दिन बुरी होती जा रही है, ऐसे में कार्बन उर्त्सजन कम करने के लिए आंदोलन की जरूरत है।
‘क्लाइमेट जंबूरी’ के आखिरी दिन शनिवार को त्यागराज स्टेडियम में देश-विदेश से 6000 छात्रों, 100 से अधिक विशेषज्ञों, 50 से अधिक साझेदारों को संबोधित करते हुए पुरी ने कहा, “हमारे शहरों की स्थिति दिन ब दिन बद से बदतर होती जा रही है। जलवायु में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए हमें सुनिश्चित करना होगा कि हम कार्बन फुटप्रिन्ट को न्यूनतम करें। समय आ गया है कि हम दुनिया में कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए एक आंदोलन की शुरुआत करें। युवा ही जलवायु परिवर्तन की दिशा में बदलाव लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।”
लेखक एवं गीतकार प्रसून जोशी ने कहा, “आज हमें खासतौर पर पश्चिमी देशों में जो भी आधुनिक विकास दिखाई देता है, उसके कारण जलवायु पर बुरा असर पड़ा है। हमें समग्र विकास मॉडल को अपनाना होगा जो स्थायी हो और आने वाली पीढ़ियों को सुरक्षित वातावरण दे सके।”
युवाओं की क्षमता का इस्तेमाल कर जलवायु में उचित बदलाव लाने और स्थायी पर्यावरण को प्रोत्साहित करने के लिए क्लाइमेट जंबूरी की अवधारणा पेश की गई है। इस मौके पर दिसम्बर 2018 में पोलैंड में आयोजित सीओपी24 के लिए समग्र दस्तावेज का ऐलान भी किया गया।
कार्यक्रम के दौरान जलवायु परिवर्तन के संवेदनशील मुद्दे पर युवाओं को जागरूक बनाने का प्रयास किया गया, ताकि वे आगे बढ़ कर इस दिशा में प्रयास करें। इस मौके पर कई ऐसे सत्रों का आयोजन किया गया, जिन्होंने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया जैसे जीआईजैड द्वारा सोलर वॉटर पम्प कार्यशाला, एनजीओ स्वराज द्वारा विशेष सत्र। कार्यक्रम के दौरान कला, स्ट्रीट प्ले, नृत्य, वृत्तचित्रों की स्क्रीनिंग, गेम्स और क्विज जैसी रोचक गतिविधियों का आयोजन किया गया।
टेरी स्कूल ऑफ अडवान्स्ड स्टडीज की वाइस चांसलर डॉ. लीना श्रीवास्तव ने कहा, “क्लाइमेट जंबूरी जबरदस्त सफल रहा! इसके माध्यम से हमने न केवल हजारों छात्रों को बल्कि कार्यक्रम से जुड़े सभी हितधारकों- पैनलिस्ट, प्रवक्ताओं, स्पॉन्सर्स, साझेदारों, मीडिया, विक्रेताओं, सेवा प्रदाताओं, सपोर्ट स्टाफ, परिवारों और दोस्तों को पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। हम सभी के लिए यह एक अनूठी यात्रा रही है और आने वाले सालों में हम और भी बड़ी बदलाव ला सकते हैं।”
दिल्ली महिला आयोग की चेयरपर्सन स्वाति मालीवाल ने कहा, “हम सभी को धरती मां का दर्द समझना चाहिए और स्थायी विकास की दिशा में कदम बढ़ाने चाहिए। साथ ही हमें यह भी समझना चाहिए कि महिलाओं के दर्द को महसूस किए बिना हम धरती मां का दर्द नहीं समझ सकते, हमें धरती और महिलाओं के संरक्षण के लिए प्रभावी प्रणाली का निर्माण करना चाहिए।”